पहली बार में IAS पार, मन लगाने के लिए खोला कोचिंग! कौन है राम-सीता विवादित बयान वाले Vikas Divyakirti

नई दिल्ली : इस समय सोशल मीडिया पर दृष्टि आईएएस कोचिंग सेंटर संचालक डॉक्टर विकास दिव्यकीर्ति के एक बयान को लेकर बवाल मचा हुआ है. ये बयान उनके एक पुराने वीडियो से सामने आया है. जहां दिव्यकीर्ति ने हिंदू भगवान श्री राम और माता सीता को लेकर टिप्पणी की थी. आइए अब आपको बता देते हैं कि आखिर विवादित बयान वाले दृष्टि IAS कोचिंग सेंटर के डॉ. विकास दिव्यकीर्ति कौन हैं.

 

माता-पिता साहित्य के प्रोफेसर

माता सीता पर एक विवादती बयान को लेकर घिरे डॉ विकास दिव्यकीर्ति का जन्म हरियाणा के मध्यम वर्गीय परिवार में साल 1973 में हुआ था. उनके माता-पिता दोनों ही हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रहे हैं जहां उनका पूरा बचपन अच्छी पढ़ाई करते हुए बीता. बचपन से ही हिंदी से उनका भी गहरा लगाव रहा. दिल्ली यूनिवर्सिटी से उन्होंने BA किया और इसके बाद वह हिंदी में एमए, एमफिल और फिर पीएचडी कर चुके हैं. आगे उन्होंने DU और भारतीय विद्या भवन से अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली.

गृह मंत्रालय में हुई थी तैनाती

विकास दिव्यकीर्ति के करियर की शुरुआत दिल्ली यूनिवर्सिटी में बतौर टीचर हुई थी. उन्होंने साल 1996 में पहले प्रयास में ही UPSC एग्जाम पास कर लिया था. इसके बाद वह IAS ऑफिसर बन गए जहां उनकी तैनाती गृह मंत्रालय में हुई थी. हालांकि, ऑफिसर के काम-धाम से उनका मन नहीं लगा और उनकी दिलचस्पी पढ़ाने-लिखाने में ही रही. महज एक साल बाद ही उन्होंने अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया और साल 1999 में डॉ विकास दिव्यकीर्ति ने दृष्टि IAS कोचिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत की. आज यह देश की नंबर वन IAS कोचिंग है.

निजी जीवन

विकास दिव्यकीर्ति के एक बड़े भाई हैं जो वर्तमान में अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. उनके दूसरे भाई CBI में DIG रैंक पर हैं. उनके पिता जी की हमेशा से इच्छा थी कि उनके बच्चों में से कोई ना कोई राजनीति में जाए और राजनेता बनें. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. वह विकास दिव्यकीर्ति के लिए भी यही चाहते थे लेकिन उन्होंने पढ़ाने को अपना रास्ता चुना. विकास दिव्यकीर्ति की पत्नी का नाम डॉ. तरुणा वर्मा है. दोनों का एक बेटा भी है जो इस समय दसवीं की पढ़ाई कर रहा है. उनके बेटे का नाम सात्विक है.

18 महीने में पड़ी दृष्टि की नींव

बता दें, दिव्यकीर्ति वर्मा ने महज 22 साल की उम्र में ही IAS का अटेम्प दिया था. वह अपने पहले अटेम्प में ही पास हो गए थे. जिसके बाद साल 1998 में उन्होंने 384 रैंक प्राप्त की और उनका सिलेक्शन गृह मंत्रालय के लिए हुआ. उन्होंने लगभग 6 महीनों तक गृह मंत्रालय में अपनी सेवा दी. इसके बाद उन्होने अपना IAS पद छोड़ दिया और महज 18 से 20 महीनों में ही उन्होने दृष्टि फाउंडेशन की स्थापना की.

पुराने वीडियो की क्लिप हो रहा वायरल

दरअसल जिस बवाली बयान का वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वो अभी का नहीं है बल्कि ये वीडियो काफी समय पुराना है. वीडियो में वह पढ़ा रहे हैं और किसी विषय पर बात चल रही है. इस दौरान विकास दिव्यकीर्ति को संस्कृत के एक लेखक को कोट करते हुए सुना जा सकता है. वह कहते हैं, ‘हे सीते अगर तुम्हें लगता है कि युद्ध मैंने तुम्हारे लिए लड़ा है तो तुम्हारी गलतफहमी है। युद्ध तुम्हारे लिए नहीं लड़ा है, युद्ध अपने कुल के सम्मान के लिए लड़ा है। रही तुम्हारी बात तो जैसे कुत्ते द्वारा चाटे जाने के बाद घी भोजन योग्य नहीं रहा जाता है वैसे ही अब तुम मेरे योग्य नहीं हो।’ वीडियो को साध्वी प्राची की ओर से शेयर किया गया है.

ये है सही बयान

बता दें, कई लोगों ने ये पूरी क्लिप साझा की है. जिसमें उनका बयान कुछ और ही नज़र आ रहा है. पूरी क्लिप में वह कह रहे हैं, ‘संस्कृत के एक ग्रंथ में राम के मुंह से ऐसा ये कहलवाया गया है कि… (वह स्पष्ट करते हैं) यह राम नहीं कह रहे, बल्कि लिखने वाला लेखक कह रहा है. लेखक अपने मन की बातें सभी चरित्रों के मन से निकलवा रहा है. हालांकि इससे छवि तो चरित्र की ही बिगड़ती है. इस मामले पर तुलसीदास ने कुछ भी नहीं कहा क्योंकि उन्हें पता था कि इससे विवाद होगा.’

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