नई दिल्ली : दिल्ली के जंतर मंतर पर देश के कई नामी पहलवान कुश्ती संघ के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. पहलवानों ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कुछ कोच पर महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. आज इस धरने का दूसरा दिन है जिसपर कुश्ती संघ से लेकर केंद्र सरकार काफी सक्रिय नज़र आ रही है. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर कुश्ती संघ प्रमुख और मामले में यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण सिंह कौन है.
बृजभूषण सिंह पर आरोप है कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कई महिला पहलवानों का यौन शोषण किया है. उनके कई करीबियों पर भी यह आरोप लगा है जो पिछले कई सालों से महिला खिलाड़ियों का शोषण कर रहे हैं. बता दें, बृजभूषण सिंह का नाम भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं में शामिल हैं. वह साल 2011 से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं. फरवरी 2019 में उन्हें लगातार तीसरी बार डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष चुना गया. इसके अलावा वह यूपी के गोंडा जिले की कैसरगंज सीट से भाजपा सांसद हैं और वह लगातार छह बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.
बृजभूषण सिंह को उनकी बेबाक बयानबाज़ी के लिए जाना जाता है. उनपर आज तक कई बड़े आरोप भी लगाए जा चुके हैं. पहली बार उन्होंने साल 1991 में चुनाव लड़ा था जहां उन्होंने रिकॉर्ड 1.13 लाख वोट से आनंद सिंह को हराकर राजनीति में एंट्री की. इसके बाद उन्होंने कभी हार का मुंह नहीं देखा. गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या समेत कई जिलों में उनका बहुत अधिक प्रभुत्व देखने को मिला. हालांकि सीट बदलती रही, लेकिन हर बार नतीजा उन्हीं के पक्ष में आया.
पार्टी में मतभेदों के चलते साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सपा के टिकट पर कैसरगंज से भी जीत हासील की. हालांकि, 2014 चुनाव से पहले वह भाजपा से जुड़ गए और इसके बाद 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में कैसरगंज सीट से भाजपा के टिकट पर जीते. बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण गोंडा सीट से भाजपा के विधायक हैं.
बृजभूषण शरण सिंह का नाम उन 40 आरोपियों में भी गिना जाता है, जिन्हें 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने का आरोपी करार दिया गया था. हालांकि, लंबे समय के बाद 30 सितंबर 2020 ने उन्हें कोर्ट ने सभी आरोपों से बरी कर दिया था. बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती और पहलवानी के शौकीन हैं. साल 1979 में उन्होंने छात्र नेता के रूप में अपना करियर शुरू किया था और रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की थी. आज उनकी हिंदूवादी नेता रूप में छवि बनी हुई है. हालांकि कुछ समय बाद टाडा से जुड़े मामले में वह जेल चले गए थे. इसके बाद उनकी राजनीतिक छवि कमजोर पड़ गई थी.
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