Who is Adhir Ranjan Chowdhury Profile: राहुल गांधी की ना के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता बने बंगाल से बहरामपुर सांसद अधीर रंजन चौधरी, कभी लेफ्ट ने क्रिमिनल और गुंडा बोला था मुर्शिदाबाद के रॉबिनहुड को

Who is Adhir Ranjan Chowdhury Profile: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इनकार के बाद कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी की अगुवाई में मीटिंग के बाद पश्चिम बंगाल के बहरामपुर से पांचवीं बार और 1999 से लगातार सांसद बन रहे अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में कांग्रेस का नेता चुन लिया गया है. अधीर रंजन चौधरी मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी. नक्सली से कांग्रेस के नेता बने अधीर रंजन चौधरी का मुर्शिदाबाद जिले में दबदबा है जहां लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस के नेता उन पर दबंगई का आरोप लगाते हैं लेकिन लोगों की नजर में वो रॉबिनहुड हैं.

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Who is Adhir Ranjan Chowdhury Profile: राहुल गांधी की ना के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता बने बंगाल से बहरामपुर सांसद अधीर रंजन चौधरी, कभी लेफ्ट ने क्रिमिनल और गुंडा बोला था मुर्शिदाबाद के रॉबिनहुड को

Aanchal Pandey

  • June 18, 2019 9:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. लोकसभा में कांग्रेस का नेता मुर्शिदाबाद के रॉबिनहुड और बहरामपुर के दबंग सांसद अधीर रंजन चौधरी होंगे. कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने लोकसभा स्पीकर के चुनाव से पहले पार्टी के नेताओं की मीटिंग बुलाई थी जिसमें पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रह चुके अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाने का फैसला किया गया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में पार्टी की बड़ी हार के बाद पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हुए हैं और लोकसभा में नेता बनने से भी मना कर चुके हैं. अधीर रंजन चौधरी बंगाल की राजनीति में दबंग नेता के तौर पर जाने जाते हैं और राजीव गांधी के जमाने में कांग्रेस में शामिल होने से पहले नक्सली थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जीते 44 सांसदों में अधीर रंजन 3.56 लाख के सबसे बड़े मार्जिन से जीतकर आए थे. 2019 का चुनाव भी वो 80 हजार से ज्यादा के मार्जिन से जीते हैं जब राज्य में बीजेपी और नरेंद्र मोदी की लहर में ममता बनर्जी की टीएमसी भी आधी हो गई और लेफ्ट का सफाया हो गया.

अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस में आने से पहले नक्सल जीवन जी चुके थे और राजीव गांधी के जमाने में कांग्रेसी बने. 1991 में पहली बार नबाग्राम विधानसभा चुनाव लड़े तो बंगाल में ज्योति बसु की सरकार चल रही थी और सीपीएम के 300 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने उनको खदेड़कर एक मतदान केंद्र में बंधक बना लिया था. 1991 का चुनाव 1401 वोट से हारे अधीर रंजन चौधरी ठेका से हो रही कमाई को रॉबिनहुड की तरह जरूरतमंद लोगों के इलाज, पढ़ाई, बेटियों की शादी में बांटते रहे. फिर 1996 के चुनाव में उसी सीट से 20 हजार से ज्यादा वोटों से जीते. अधीर रंजन चौधरी विधानसभा में मात्र एक टर्म रहे क्योंकि 1999 के चुनाव में उन्हें लोकसभा के लिए बहरामपुर सीट से चुन लिया गया. पार्टी ने फिर उन्हें मुर्शिदाबाद का कांग्रेस जिलाध्यक्ष बना दिया और उसके बाद उन्होंने अपने इलाके में लेफ्ट या टीएमसी को जीतने नहीं दिया.

1999 के लोकसभा चुनाव में आरएसपी के सिटिंग एमपी प्रोमोतेस मुखर्जी को हराकर पहली बार लोकसभा पहुंचे अधीर रंजन चौधरी को प्रोमोतेस चटर्जी ने 1993 में रेडिफ डॉट कॉम से क्रिमिनल, गुंडा, स्कूल ड्रॉफ आउट और निरक्षर तक कहा था और आरोप लगाया था कि अधीर रंजन चौधरी ने क्राइम और ठेकों से अधीर ने करोड़ों रुपए कमाए हैं जिससे वो लोगों को लुभाता है. अधीर रंजन चौधरी ने महज तीन साल में विधायक के तौर पर इतना काम किया कि इलाके के लोग उनके दीवाने हो गए और आरएसपी का गढ़ ध्वस्त करके जीते और लोकसभा पहुंचे. 1952 के संसदीय चुनाव से मात्र 1984 को छोड़कर आरएसपी की जीत का गवाह रही बहरामपुर सीट से दूसरी बार कांग्रेस का कोई कैंडिडेट जीता था जो तब से अब तक कभी नहीं हारा.

लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनने की रेस में अधीर रंजन चौधरी के अलावा कांग्रेस के केरल से सांसद के सुरेश भी शामिल थे लेकिन पलड़ा अधीर रंजन चौधरी का भारी रहा. अधीर रंजन चौधरी को बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी का मुखर विरोधी माना जाता है और पार्टी को लगता है कि 2021 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी और अमित शाह की बीजेपी के आमने-सामने के मुकाबले में कांग्रेस के लिए थोड़ी बहुत सीटें अधीर रंजन ही जुटा सकते हैं.

पारिवारिक जीवन में अधीर रंजन चौधरी की पहली पत्नी अर्पिता मजूमदार चौधरी का इसी साल जनवरी में निधन हो गया. इससे पहले उनकी इकलौती बेटी श्रेयषी चौधरी की 2006 में अपार्टमेंट से कथित तौर पर कूदने से मौत हो गई थी. अधीर रंजन चौधरी ने इस बार के चुनाव में दूसरी पत्नी अतासी चटर्जी चौधरी और बेटी होईमोंटी चौधरी का नाम एफिडेविट में डाला है.

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