नई दिल्ली: मंकीपॉक्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया है। खासकर अफ्रीका के कई देशों और कांगो में यह बीमारी तेजी से फैल रही है। यह दूसरी बार है जब किसी वायरल बीमारी को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया गया है।
WHO के आंकड़ों के अनुसार, 2022 से अब तक 116 देशों में मंकीपॉक्स के करीब 99,176 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 208 मौतें भी हुई हैं। खास चिंता का विषय यह है कि अब इसका एक नया स्ट्रेन फैल रहा है, जो पहले से अधिक खतरनाक हो सकता है।
मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जो ऑर्थोपॉक्स वायरस के कारण होता है। इससे बुखार, लिम्फ नोड्स की सूजन, और दर्दनाक दाने होते हैं जो फफोले और पपड़ी में बदल जाते हैं। हालांकि, यह बीमारी खुद ही ठीक हो जाती है, लेकिन कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह घातक हो सकती है।
WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम ने कहा, “डीआरसी में वायरस के नए प्रकार का उभरना और पड़ोसी देशों में इसके तेजी से फैलने की रिपोर्ट्स बेहद चिंताजनक हैं। यह प्रकोप रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।”
इस बीमारी के लक्षणों में शुरूआती 0-5 दिनों में बुखार, सिरदर्द, और लिम्फ नोड्स की सूजन शामिल हैं। बुखार के बाद 2 दिनों के भीतर त्वचा पर दाने दिखने लगते हैं, जो अधिकतर चेहरे पर होते हैं। ये दाने हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों पर भी हो सकते हैं। इसके अलावा, मुंह के अंदर, आंखों, और जननांग क्षेत्र में भी संक्रमण हो सकता है।
मंकीपॉक्स खासकर अफ्रीका में तेजी से फैल रहा है। यह बीमारी पहले कांगो में सामने आई थी, लेकिन अब युगांडा और केन्या में भी इसके मामले देखे जा रहे हैं। अफ्रीका रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, मंकीपॉक्स अब अफ्रीका के 34 देशों में फैल चुका है, जो सभी हाई रिस्क पर हैं।
साल 2024 की शुरुआत में कांगो में 14,000 से ज्यादा मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे, जिनमें से 511 लोगों की मौत हो चुकी है। चिंताजनक बात यह है कि इस साल अब तक के मामले, 2023 के पूरे साल के बराबर हैं।
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