कौन हैं कतर से रिहा किए गए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिक, लगा था जासूसी का आरोप; जानें पूरा मामला

नई दिल्ली। भारत को एक बड़ी डिप्लोमैटिक जीत मिली है। बता दें कि कतर ने जिन आठ भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी उनको रिहा कर दिया गया है। इससे पहले भारत के हस्तक्षेप के बाद फांसी की सजा को एक लंबी जेल की अवधि में बदल दिया गया था। […]

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कौन हैं कतर से रिहा किए गए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिक, लगा था जासूसी का आरोप; जानें पूरा मामला

Arpit Shukla

  • February 12, 2024 9:28 am Asia/KolkataIST, Updated 9 months ago

नई दिल्ली। भारत को एक बड़ी डिप्लोमैटिक जीत मिली है। बता दें कि कतर ने जिन आठ भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी उनको रिहा कर दिया गया है। इससे पहले भारत के हस्तक्षेप के बाद फांसी की सजा को एक लंबी जेल की अवधि में बदल दिया गया था। कतर ने जब भारतीय नेवी के पूर्व सैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी, तो पूरा देश इनके लिए चिंतित था। इनके परिजनों की तरफ से रिहाई और सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई जा रही थी। इस पर विदेश मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि वह सभी राजनयिक चैनलों का इस्तेमाल करेगा तथा इन्हें कानूनी सहायता की व्यवस्था देगा।

कौन हैं ये 8 अधिकारी?

एक न्यूज एजेंसी के अनुसार, दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एक निजी फर्म है और ये कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण तथा अन्य सेवाएं प्रदान करती है। इसी कंपनी में भारतीय नौसेना के पूर्व कैप्टन नवतेज गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, सौरभ वशिष्ठ, अमित नागपाल, बीके वर्मा, एसके गुप्ता, सुगुनाकर पकाला और नाविक रागेश काम करते थे। बता दें कि इन सभी को अगस्त 2022 में अघोषित आरोपों पर हिरासत में लिया गया था। इनमें से कैप्टन नवतेज गिल को राष्ट्रपति से गोल्ड मेडल भी मिल चुका है।

जासूरी का लगा था आरोप

जानकारी के अनुसार, पूर्णेंदु तिवारी को 25 साल की जेल की सजा दी गई थी, वहीं रागेश को तीन साल की सजा दी गई थी। उन्होंने कहा कि नौसेना के चार पूर्व अधिकारियों को 15 साल के कैद की सजा दी गई थी और दो अन्य को 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इन लोगों पर जासूसी का आरोप लगा था। हालांकि कतर और भारतीय अधिकारियों दोनों ने उनके खिलाफ लगे आरोपों के बारे में खुलकर कुछ भी नहीं बताया है।

भारत की कूटनीतिक जीत

कतर अदालत के निर्णय को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि ये दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी की कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ मुलाकात के कुछ हफ्तों बाद ही आया है। 1 दिसंबर 2023 को हुई इस मीटिंग के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उन्होंने कतर में भारतीय समुदाय की भलाई को लेकर चर्चा की है।

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