नई दिल्लीः केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने वर्ष 2014 से पहले की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार की आर्थिक नीतियों के विरुद्ध ‘श्वेत पत्र’ लाने का निर्णय किया है. इसके जरिए केंद्र सरकार यह बताएगी कि वर्ष 2014 के पहले की आर्थिक नीतियां कैसी थीं और तब के मुकाबले आज 10 वर्ष बाद क्या स्थिति है. इसके लिए केंद्र ने संसद ने बजट सत्र का एक दिन और बढ़ाने का निर्णय किया है।
इस निर्णय का बहुजन समाज पार्टी समर्थन करती नजर आई है. पार्टी सांसद मलूक नागर ने बताया है कि ‘श्वेत पत्र’ लाने और संसद की कार्यवाही का एक दिन बढ़ाने के निर्णय का स्वागत होना चाहिए। श्वेत पत्र से पिछली सरकार का कार्य सामने आ जाएगा। मलूक नागर का बयान ऐसे समय में आया है जब कथित तौर पर बोला जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में बसपा और कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A.) में साथ आने के लिए बात कर रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स में ये तक कहा जा रहा है कि बसपा अगर साथ आ जाए तो कांग्रेस, समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ सकती है।
श्वेत पत्र पर इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की थी। अंतरिम बजट पेश करने के एक दिन बाद शुक्रवार को 2014 से पहले की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार पर ‘श्वेत पत्र’ पेश करने के अपने बयान का बचाव करते हुए बोला कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति को लोगों के सामने रखने का इससे ‘बेहतर वक्त’ नहीं हो सकता. वित्त मंत्री ने अंतरिम बजट के बाद अपने पहले साक्षात्कार में कहा कि यह ‘श्वेत पत्र जारी करने का सही वक्त’ है.
बता दें सीतारमण ने कहा था कि जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार 2014 में सत्ता में आई थी, तब अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ‘नाजुक अर्थव्यवस्था’ को दुनिया के सामने उजागर न किया जाए इसकी वजह ये है की इससे एक चिंताजनक संकेत जाता. उद्योग और व्यवसायी और किसी ने भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में निवेश करने के बारे में नहीं सोचा होगा।
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