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डेटा लीक: व्हिसल ब्लोअर का खुलासा- कैंब्रिज एनालिटिका ने 2010 के बिहार चुनाव में जेडीयू के लिए किया था काम

व्हिसल ब्लोअर क्रिस्टोफर वाइली ने कैंब्रिज एनालिटिका की पैतृक कंपनी एससीएल द्वारा भारत में किए गए काम का ब्यौरा जारी कर राजनीति में हलचल मचा दी है. इसमें दावा किया गया है कि एससीएल 2010 में जेडीयू के लिए काम कर चुकी है. इसके साथ ही एससीएल, यूपी, केरल, आसाम, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में भी काम काम कर चुका है. दावों के मुताबिक, एससीएल के पास भारत के 600 जिलों और 7 लाख गांवों का डेटा है.

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Whistleblower Christopher Wylie
  • March 28, 2018 7:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. कैंब्रिज एनालिटिका (CA) डेटा लीक मामले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं. इस मामले ने भारत की राजनीति में भूचाल मचा रखा है. इस बीच व्हिसल ब्लोअर क्रिस्टोफर वाइली ने कांग्रेस की मुश्किलें खड़ी करने के बाद अब एक और धमाका किया है. क्रिस्टोफर वाइली ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने भी कैंब्रिज एनालिटिका की सेवा ली थी. वाइली के इस खुलासे से जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी के दावे की भी पोल खुल गई है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी ने इस कंपनी से कभी कोई सर्विस नहीं ली.

वाइली ने सीए द्वारा भारत में किए गए चुनाव कार्यों का ब्यौरा सार्वजनिक कर दिया है. इसके साथ ही वाइली ने ट्वीट कर जानकारी साझा की है. ट्वीट पर शेयर की गई जानकारी से साफ पता चलता है कि SCL इंडिया ने भारत में चुनावी विश्लेषण के साथ ही जाति जनगणना का भी काम किया है. वाइली ने मंगलवार को ब्रिटिश संसद में यह कहकर भारत में तूफान पैदा कर दिया था कि कांग्रेस सीए की क्लाइंट रह चुकी है.

वाइली के अनुसार, एससीएल ग्रुप के पास भारत के 600 जिलों और 7 लाख गांवों का डेटा है, जो लगातार अपडेट होता है. वाइली द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, एससीएल ने माइक्रो लेवल सूचना के जरिए जातिगत डेटा से लेकर घर-घर की जानकारी हासिल कर ली है.

कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) का आधिकारिक तौर पर गठन 2013 में किया गया था इससे पहले इसकी लंदन स्थित पैतृक कंपनी स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशंस लैबोरेटरीज (एससीएल) काम कर रही थी. वाइली ने 2010 के बिहार चुनाव में जेडीयू द्वारा एससीएल की सेवा लेने की ही बात कही है. इस खुलासे से बीजेपी भी आरोपों के चपेट में आ गई है. क्योंकि 2010 के चुनाव में बीजेपी जेडीयू साथ थे. दोनों ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी और स्थानीय पार्टी राजद को सिर्फ 22 सीटों पर समेट दिया था. सीए ने भी दावा किया था कि उसके क्लाइंट को 90 प्रतिशत ज्यादा सीटें मिली थीं.

2010 में नीतीश कुमार की जेडीयू ने 141 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे जिसमें से उसे 115 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें उसने 91 सीटें जीती थीं. आरजेडी 168 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें से वह सिर्फ 22 सीटों पर जीत दर्ज करा पाई. रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी को 75 में से 3 सीटों पर जीत मिली. वहीं, कांग्रेस सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ी थी उसे सिर्फ 4 सीटों पर सफलता मिली. सीपीआई 56 सीटों पर चुनाव लड़ी थी उसे सिर्फ 1 सीट मिली थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा 41 सीटों पर लड़ी थी उसे सिर्फ 1 सीट मिली थी. वहीं, 6 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे.

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