नई दिल्ली: कल यानी 15 अगस्त को भारत को आजाद हुए 78 साल हो जाएंगे. पूरा देश आजादी का जश्न मनाने के लिए तैयार है. इस बीच क्या आप जानते हैं कि भारत के दो ऐसे जिले हैं जो 1947 से पांच साल पहले आजाद हो गए थे. आइए जानते हैं उन जिलों के बारे […]
नई दिल्ली: कल यानी 15 अगस्त को भारत को आजाद हुए 78 साल हो जाएंगे. पूरा देश आजादी का जश्न मनाने के लिए तैयार है. इस बीच क्या आप जानते हैं कि भारत के दो ऐसे जिले हैं जो 1947 से पांच साल पहले आजाद हो गए थे. आइए जानते हैं उन जिलों के बारे में…
बता दें कि मुंबई में नौ अगस्त 1942 को कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था. महात्मा गांधी की अध्यक्षता में हुए इस अधिवेशन के बाद पूरे देश में आजादी की क्रांति तेज हो गई थी. इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के एक जिले- बलिया में भी इसका शंखनाद किया जा चुका था. उस वक्त की ब्रिटिश सरकार ने बलिया के चित्तू पांडे सहित कई स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में डाल दिया था. इसके बाद 9 अगस्त की शाम को स्थानीय लोग जिला कारगर के बाहर जुटे और अपने नेताओं की रिहाई की मांग करने लगे.
इसके बाद बलिया के तत्कालीन जिलाधिकारी जगदीश्वर निगम और पुलिस अधीक्षक रियाजुद्दीन मौके पर पहुंच गए और उन्होंने जेल में बंद आंदोलनकारियों से मुलाकात की, फिर उन्हें रिहा कर दिया. इसके बाद चित्तू पांडे, राधेमोहन और विश्वनाथ चौबे के नेतृत्व में लोगों ने जिले के सभी सरकारी कार्यलयों पर तिरंगा झंडा फहरा दिया. 19 अगस्त 1942 को बलिया के लोगों ने भारत के इस जिले को ब्रिटिश राज से स्वतंत्र घोषित कर दिया. इसके बाद ब्रिटिश सरकार के समानांतर स्वतंत्र बलिया प्रजातंत्र सरकार भी गठित कर दी.
बलिया के अलावा 1942 के उस अगस्त महीने में पूरब में मिदनापुर का तामलूक और पश्चिम में महाराष्ट्र के सतारा के कुछ हिस्से भी आजाद हुए थे. हालांकि बलिया समेत सभी जिले बाद में अंग्रेजो द्वारा फिर से अपने शासन के अधीन कर लिए गए.
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