नई दिल्ली। कांग्रेस ने पेट्रोल, डीजल और ईंधन की ऊंची कीमतों और टैक्स के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया है. इस बारे में कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया. उन्होंने लिखा है कि ईंधन की ऊंची कीमतों, तेलों की कीमतों, और केंद्र सरकार हर तरह के ईंधन पर 68 फीसदी टैक्स वसूल रही है. फिर भी पीएम जिम्मेदारी से बचते हैं.
कम अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों के बावजूद ईंधन पर उच्च करों के लिए कांग्रेस सरकार पर हमला करती रही है. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के बयान तथ्यों पर आधारित नहीं थे. उन्होंने मांग की कि मोदी सरकार पहले केंद्रीय उत्पाद शुल्क का हिसाब दे, जिससे केंद्र ने पिछले 8 साल में 27 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं. वहीं पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बोझ को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले नवंबर में उत्पाद शुल्क में कमी की थी. राज्यों से भी अपने करों को कम करने का आग्रह किया गया.
अब आपके मन में यह सवाल जरूर उठा होगा कि भारत सरकार आपसे वसूले गए आयकर और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को कहां खर्च करती है? आपको बता दें कि भारत सरकार अपने वार्षिक खर्च के लिए मुख्य रूप से आयकर, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और कर्ज पर निर्भर है. हम जो कर देते हैं वह भारत सरकार की आय है. भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ रही है और दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारत जैसे बड़े देश की वित्तीय जरूरतों को पूरा करना एक जटिल प्रक्रिया है. आइए जानते हैं कि सरकार हमसे जो इनकम टैक्स और जीएसटी वसूलती है, उसे सरकार कहां खर्च करती है.
आयकर, जीएसटी या अन्य जगहों से प्राप्त राशि भारत सरकार द्वारा रक्षा, पुलिस, न्यायिक प्रणाली, सार्वजनिक स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे जैसे आवश्यक खर्चों के लिए खर्च की जाती है.आप कहेंगे कि टैक्स वसूलने के बावजूद सरकार न तो मुफ्त चिकित्सा सुविधा दे रही है और न ही सामाजिक सुरक्षा. भारत सरकार नागरिकों के प्रति अपनी विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही है, जिसमें सरकारी अस्पतालों में इलाज (मामूली लागत पर या बिल्कुल मुफ्त), शिक्षा (नगरपालिका और सरकारी स्कूलों में शिक्षा) आदि शामिल हैं.
सरकार सब्सिडी दरों पर रसोई गैस भी प्रदान करती है या सब्सिडी देती है. हालांकि, कर से प्राप्त आय मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए उपयोग की जाती है. इसके अलावा आपके द्वारा चुकाए गए टैक्स से सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाती है, जिसमें रोजगार संबंधी योजनाएं भी शामिल हैं. विभिन्न सरकारी और प्रशासनिक विभागों में लाखों कर्मचारी काम करते हैं, जिनका वेतन और अन्य खर्च आपके टैक्स के पैसे से सरकार वहन करती है. इसके अलावा, प्राप्तियों का एक बड़ा हिस्सा ऋण के ब्याज को चुकाने में भी जाता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारी तरह ही सरकार भी अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कर्ज लेती है और उसका ब्याज देती है. वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार के कुल कर का हिस्सा 44.37 प्रतिशत था. इसके अलावा, सरकार की प्राप्तियों में कर्ज का हिस्सा 43.26 प्रतिशत था. सरकार की आय का एक हिस्सा गैर-कर स्रोतों और पूंजीगत प्राप्तियों से भी आता है.
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि देश में लोग आयकर का भुगतान करने से बचना चाहते हैं. सरकार इसका दायरा बढ़ाने के लिए तमाम उपाय कर रही है. इसके बावजूद देश में करदाताओं की संख्या करीब 8.30 करोड़ ही है, जो कुल आबादी का 6.25 फीसदी है. अगर अमेरिका से तुलना करें तो वहां की करीब 45 फीसदी आबादी इनकम टैक्स देती है. भारत में आयकर का भुगतान न करने के कई कारणों में से एक यह है कि अधिकांश आय आयकर के दायरे में नहीं आती है.
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