नई दिल्ली : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस जल्द ही अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने जा रही है. अध्यक्ष के कन्धों पर गुजरात और हिमाचल चुनावों समेत अंदरूनी कलह की भी चुनौती होगी. इन चुनावों में 3 नाम सामने आ रहे थे. लेकिन झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी का नामांकन खारिज होने के बाद […]
नई दिल्ली : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस जल्द ही अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने जा रही है. अध्यक्ष के कन्धों पर गुजरात और हिमाचल चुनावों समेत अंदरूनी कलह की भी चुनौती होगी. इन चुनावों में 3 नाम सामने आ रहे थे. लेकिन झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी का नामांकन खारिज होने के बाद इस पद के लिए केवल दो मुख्य दावेदार ही बचे हैं. अब ये लड़ाई खड़के बनाम थरूर हो गई है. खैर ये पहली बार नहीं है जब देश में राष्ट्रीय कांग्रेस अपने अध्यक्ष के लिए चुनाव करवा रही है. ऐसा पहले भी हो चुका है.
साल 1939 में पहली बार कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव करवाया गया था. अध्यक्ष चुनाव का पहला सीरियस कंटेस्ट सुभाष चंद्र बोस और पट्टाभि सीतारामय्या के बीच हुआ था. गांधी के नेतृत्व में कई शीर्ष नेताओं ने सीतारामय्या का समर्थन किया. इसके बाद भी ये चुनाव बोस जीत गए थे. कहा जाता है कि इन चुनावों से गांधी और बोस के बीच दरार आ गई थी.
कांग्रेस अध्यक्ष का अगला चुनाव साल 1950 करवाया गया. नासिक अधिवेशन से पहले ये चुनाव जेबी कृपलानी और पुरुषोत्तम दास टंडन के बीच लड़ा गया था. हालांकि इस चुनाव में टंडन विजयी रहे लेकिन बाद में उन्होंने तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेदों को देखते हुए पार्टी पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
– साल 1951 और 1955 के बीच नेहरू ने पार्टी प्रमुख और पीएम के दोनों पदों पर कार्य किया था. लेकिन उन्होंने साल 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ दिया और यूएन ढेबर कांग्रेस के अध्यक्ष बने.
– ज्यादातर पार्टी अध्यक्ष प्रधानमंत्री द्वारा ही मैदान में उतारते थे. साल 1997 में सीताराम केसरी ने प्रतिद्वंद्वियों शरद पवार और राजेश पायलट को हराकर कांग्रेस अध्यक्ष की गद्दी अपने नाम की थी.
– बाद में मार्च 1998 में केसरी को CWC के प्रस्ताव के जरिए कुर्सी से हटा दिया गया था. एक साल पहले ही AICC की प्राथमिक सदस्य बनी सोनिया गांधी के पास इस पद को संभालने का ऑफर गया. हालांकि उन्होंने 6 अप्रैल 1998 से औपचारिक रूप से अध्यक्ष पद संभाला.
– साल 2017-2019 में एक ब्रेक लिया गया. कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद पर सोनिया सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली नेता हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और राहुल ने भी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
– साल 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी को चुनौती दी और मैदान में उतरे. लेकिन वह भी अध्यक्ष पद का चुनाव हार गए. 22 साल से इस पद के लिए कोई मुकाबला नहीं हुआ है. बता दें, राहुल गांधी को सर्वसम्मति से पार्टी अध्यक्ष चुना गया था.
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