नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के सीएम हुआ करते थे, उस वक्त उनकी बीजेपी नेता संजय जोशी से खटपट की खबरें सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनती थीं. इस बीच साल 2005 में जोशी के एक कथित सीडी बाजार में आई, जिसने उनके सियासी करियर को चौपट कर दिया. इस सीडी में संजय जोशी कथित तौर पर एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थे. सीडी के बाहर आने के बाद संजय जोशी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
हालांकि बाद में सीडी फर्जी पाई गई और जोशी की दोबारा भाजपा में वापसी हुई. लेकिन सीडी कांड के बाद उनके कई नेता जोशी की वापसी को लेकर सहमत नहीं थे.
संजय जोशी एक वक्त नरेंद्र मोदी के काफी करीबी हुआ करते थे. संघ के प्रचार रहे जोशी को साल 1989-90 में आरएसएस ने गुजरात भेजा था. उन्हें बतौर संगठन मंत्री गुजरात में बीजेपी को मजबूत करना था. इस दौरान मोदी पहले से ही गुजरात में संगठन महामंत्री के रूप में काम कर रहे थे. इस दौरान दोनों नेताओं ने मिलकर राज्य में पार्टी को मजबूत किया. जिसका नतीजा ये हुआ कि साल 1995 में पहली बार गुजरात में भाजपा की सरकार बनी.
लेकिन बाद के वर्षों में जब गुजरात की सत्ता में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री के रूप में काबिज होते हैं, उसके बाद उनकी और संजय जोशी के रिश्तों में खटास आने लगी. इसके बाद जोशी राष्ट्रीय संगठन महासचिव बनकर दिल्ली आ गए. फिर सीडी कांड के बाद वह कई वर्षों तक राष्ट्रीय राजनीति से गायब रहे.