इंदिरा गांधी का प्लेन जब लखनऊ से उड़ान भरा ही था कि दो नौजवान उठे और प्लाइट अटेंडेंट से कहा कि उन्हें कमांडर से जरूरी बात करनी है. जिसके बाद उन्होंने दोनों व्यक्तियों के लिए कॉकपिट का गेट खोल दिया. जिसके थोड़ी देर बाद कॉकपिट कमांडर पायलट ने स्पीकर के माध्यम से यात्रियों को बताया कि प्लेन हाईजैक हो गया है.
नई दिल्ली: ये 20 दिसम्बर 1978 की बात थी, कोलकाता से दिल्ली आ रहा प्लेन आईसी 410 ने जब लखनऊ से उड़ा तो पंद्रहवीं पंक्ति से दो नौजवान उठे और फ्लाइट अटेंडेंट से कहा कि हमें पायलट कमांडर से कुछ जरूरी बात करनी है. उसने कॉकपिट का गेट खोलकर पायलट से पूछना चाहा तो दोनों ने दरवाजा जबरन खोल दिया औऱ थोड़ी देर बाद कॉकपिट से कमांडर पायलट की आवाज यात्रियों को प्लेन के स्पीकर से सुनाई दी कि प्लेन हाईजैक हो गया है.
हाईजैकर्स ने सबसे पहले प्लेन को काठमांडू ले जाने की मांग ली, लेकिन पायलट ने ये कहकर मना कर दिया कि प्लेन में इतना ईंधन नहीं है, तो पटना चलने को कहा गया, लेकिन बाद में वाराणसी की बात पायलट ने मान ली. वाराणसी में प्लेन लैंड कर दिया गया। देश भर की मीडिया को खबर लग गई. पीछे का गेट खोलकर एक यात्री ने बाहर छलांग भी लगा दी, इधर हाईजैकर यात्रियों के बीच भाषण देने लगे कि इंदिरा को जनता सरकार ने गिरफ्तार कर लिया है, जब तक उनको नहीं छोड़ा जाएगा, हम आपको नहीं छोड़ेंगें. प्लेन में कुल 130 यात्री सवार थे. हालांकि इंदिरा गांधी के फैंस होने के ऐलान के बाद अब यात्रियों का डर काफी हद तक कम हो गया था. दिलचस्प बात थी कि इसमें इंदिरा की पूर्ववर्ती सरकार के दो मंत्री भी बैठे थे. मौका देखकर कुछ और यात्री भी पीछे के गेट से कूद गए.
हाईजैकर्स की बातचीत यूपी के सीएम रामनरेश यादव से हुई, दोनों ने इंदिरा गांधी को छोड़ने, इंदिरा-संजय के खिलाफ मुकदमें वापस लेने और जनता सरकार को बर्खास्त करने जैसी मांगें रखीं. इनमें से एक था भोला पांडेय और दूसरा था देवेन्द्र पांडेय. दिलचस्प बात ये भी थी कि दोनों के पास ही असली हथियार नहीं थे बल्कि खिलौना पिस्तौल थीं. इनमें से एक के पिता वाराणसी एयरपोर्ट पर पहुंच गए. आखिरकार दोनों सरेंडर मुद्रा में बाहर आ गए. इन दोनों कांग्रेस नेताओं का बाद मे क्या हुआ? ये जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो विष्णु शर्मा के साथ.
जब एक महीने तक इंदिरा गांधी के सपनों में आती रही चुड़ैल, झांसी के काली मंदिर में 4 साल तक हुआ लक्ष्यचंडी पाठ
धर्मगुरुओं ही नहीं ज्योतिषियों और ग्रहों की चाल पर भी था इंदिरा का विश्वास
क्यों इंदिरा गांधी को पसंद नहीं थी विपक्षी पार्टी की सरकार, क्या है कई राज्यों की सरकार गिराने की कहानी?