14 या 15 नवंबर कब है भाई दूज? जानें तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली: दिवाली के तुरंत बाद भाई दूज का त्योहार भी आता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को इस त्योहार मनाया जाता है। इसे भाई-बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है। इस त्योहार पर सारी बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक […]

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14 या 15 नवंबर कब है भाई दूज? जानें तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

Manisha Singh

  • November 13, 2023 6:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: दिवाली के तुरंत बाद भाई दूज का त्योहार भी आता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को इस त्योहार मनाया जाता है। इसे भाई-बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है। इस त्योहार पर सारी बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उन्हें सूखा नारियल देती हैं। आइए जानते हैं इस साल कब पड़ रहा भाई दूज का त्योहार और इसे कैसे मनाना है।

कब है भाई दूज?

पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि 14 नवंबर दोपहर 2 बजकर 36 मिनट से शुरु होकर अगले दिन 15 नवंबर 1 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। इस कारण आप 14 और 15 नवंबर दोनों ही दिन भाई दूज मना सकते हैं। इसका शुभ मुहूर्त 14 नवंबर, मंगलवार के दिन दोपहर 2 बजकर 37 मिनट से शुरु हो जाएगा।

कैसे मनाएं?

भाई दूज का त्योहार यमराज और मां यमुना से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस दिन यमराज देव और मां यमुना का ध्यान करना शुभ माना जाता है। अपने भाई को तिलक लगाने से पहले बहनों को इनका स्मरण जरूर करना चाहिए। इसके बाद भाई के माथे पर चंदन में चावल मिलाकर उसका टीका लगाना चाहिए। फिर बहनें मिठाई खिलाकर भाई को सूखा नारियल देंगी। बदले में भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं। इस दिन काला कपड़ा पहनना बेहद शुभ माना जाता है।

क्यों मनाया जाता है भाई दूज?

 

भाई दूज का त्योहार यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज बहुत सालों बाद अपनी बहन यमुना से मिलने गए। तब मां यमुना ने उनके माथे पर तिलक लगाकर, उन्हें सूखा नारियल भेंट किया था। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने मां यमुना से कोई वरदान मांगने को कहा। इसपर देवी यमुना ने यह वरदान मांगा कि यमराज हर साल इस दिन उनसे मिलने आएं। साथ ही जो भी बहन इस दिन अपने भाई के माथे पर टीका लगाकर उसका आदर-सम्मान करे, उसे कभी यमराज का डर न सताए। यमराज ने देवी यमुना को यह वरदान दे दिया। तभी से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।

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