नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा गांधी के दो बड़े फैसलों पर रोक लगा दी, ये फैसले थे बैंकों के नेशनलाइजेशन का और प्रिवी पर्स खत्म करने का. इस मुद्दे पर न्यायपालिका और संसद में टकराव बढ़ता गया. इंदिरा ने न्यायपालिका के पर कतरने की सोची और 24वां और 25वां संविधान संशोधन लाया गया. गोलकनाथ केस में कहा गया था कि संविधान का आधारभूत ढांचा संसद नहीं बदल सकती. लेकिन 24वें संशोधन में सारे फैसले बदलने का अधिकार संसद ने ले लिया, 25 वें संशोधन के तहत इंदिरा ने बैंकों के नेशनलाइजेशन और प्रिवी पर्स पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल दिया गया. 24वें संशोधन के खिलाफ फिर सुप्रीम कोर्ट में मामला गया, तो केशवानंद भारती केस के तहत फिर से फैसला आया कि संविधान के मूल ढांचे में बदलाव संसद नहीं कर सकती.
अब इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट पर अपना कब्जा चाहती थीं, यानी वो अपने लिए ‘कमिटिड ज्यूडीशियरी’ चाहती थीं. केशवानंद भारती केस के फैसले के अगले दिन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसएम सीकरी जब रिटायर हो गए तो इंदिरा गांधी ने सीनियर मोस्ट जज जेएम सेलत की बजाय उनके समेत तीन जजों को साइडलाइन करके जूनियर जज ए एन रे को चीफ जस्टिस बना दिया. तीनों सीनियर जजों ने इस्तीफा दे दिया. इधर लगातार मंहगाई से जनता परेशान होने लगी, 1973 में इजराइल का सपोर्ट करने वाले देशों पर अरब राज्यों ने तेल पर एम्बार्गो लगा दिया, तेल की कीमत 3 डॉलर प्रति बैरल से 12 डॉलर यानी 4 गुना हो गई. बढ़ती मंहगाई और फीस से गुजरात के छात्र नाराज हो गए, एक बड़ा आंदोलन एक कॉलेज से शुरू होकर पूरे गुजरात में फिर बिहार में और फिर पूरे देश में फैल गया.
अब आंदोलन को चाहिए था एक बड़ा नाम, जेपी को तैयार किया गया. जब बिहार की कांग्रेस सरकार का विरोध शुरू हुआ तो इंदिरा जेपी से नाराज हो गईं. इधर जॉर्ज फर्नांडीज ने रेलवे यूनियंस की हड़तालें शुरू कर दीं, सरकार ने सख्त रुख लिया. इधर संघ के कार्यकर्ता भी जगह जगह अलग अलग मैदान में उतर गए, सीपीआई को छोड़कर सभी पार्टियां संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले आ गईं. जेपी की बिहार की सरकार के इस्तीफ के मांग इंदिरा ने खारिज कर दी. जेपी पर मंत्रियों के बंगलों के घेराव के दौरान लाठियां पड़ीं. इंदिरा गांधी ने जब एक जूनियर जज को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनवा दिया तो जेपी ने विरोध में क्या किया, जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो विष्णु शर्मा के साथ.
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