जब इंदिरा गांधी की कुर्सी बचाने वाले जज के पीछे पड़ गई थी CID

बारह जून 1975 की ये वो तारीख थी, जिस दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के खिलाफ राजनारायण के केस में बड़ा फैसला दिया था. ना केवल इंदिरा गांधी का रायबरेली से चुनाव रद्द कर दिया था बल्कि उनके अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर पांबदी भी लगा दी थी.

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जब इंदिरा गांधी की कुर्सी बचाने वाले जज के पीछे पड़ गई थी CID

Aanchal Pandey

  • November 11, 2017 10:34 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली: बारह जून 1975 की ये वो तारीख थी, जिस दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के खिलाफ राजनारायण के केस में बड़ा फैसला दिया था. ना केवल इंदिरा गांधी का रायबरेली से चुनाव रद्द कर दिया था बल्कि उनके अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर पांबदी भी लगा दी थी. 23 मई को इस केस की सुनवाई के लिए इंदिरा गांधी आईं, ये पहली बार था कि भारत का कोई पीएम अदालत के कटघरे में थे, वो भी पूरे पांच घंटे. जब 23 मई को केस की सुनवाई पूरी हो गई तो सालों से जज के विश्वासपात्र रहे प्राइवेट सेक्रेटरी से जज ने कहा, मैं नहीं चाहता कि फैसला लीक हो, यहां तक कि तुम्हारी वीबी को भी नहीं, ये एक बड़ी जिम्मेदारी है, क्या तुम लोगे? उसने जज के सामने शपथ खाई कि किसी को नहीं बताएगा. जज सिन्हा शांति से इस फैसले को लिखना चाहते थे, जो लिखते लिखते 258 पेज का फैसला बन गया था.

जज ने एक अनोखी तरकीब निकाली, उन्होंने अपने घर के स्टाफ और परिवार से कह दिया कि बाहर वालों को बताओ कि वो उज्जैन चले गए हैं और 28 मई से लेकर 7 जून तक वो घर मे इस तरह से बंद हो गए कि घर के बाहर निकलना तो दूर अपने बरामदे तक में नहीं दिखे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएस माथुर ने उन्हें बताया कि उनका नाम सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर दिल्ली में चर्चा में है. लेकिन सिन्हा ने ये कहकर टाल दिया कि वो अभी इतने बड़े पद के लायक नहीं है. वकील शांतिभूषण के बेटे प्रशांत भूषण ने अपनी किताब ‘द केस दैट शुक इंडिया’ में लिखा है कि उसके बाद सरकार ने एक सीआईडी की टास्क फोर्स फैसला पता करने में लगा दी जो जज सिन्हा के पीए मन्ना लाल के घर जा पहुंची, जब उसने मना किया कि मेरे पास फैसला नहीं है तो उसे धमकी देकर आधे घंटे बाद आने की कहकर चले गए. मन्ना लाल डर गया, उसने फौरन पैकिंग की और निकल पडा जज सिन्हा के घर.

लेकिन यहीं मामला खत्म ना हुआ, जब सुबह लौटा तो 8 बजे सीआईडी टीम फिर हाजिर थी. हाईकोर्ट का मसला था, टीम डरा ही सकती थी, कुछ कर नहीं सकती थी, टीवी चैनल्स उन दिनों होते तो शायद वो भी ना कर पाती. मन्ना लाल को समझाया गया कि हॉटलाइन पर सीधे पीएम इंदिरा गांधी को फैसला बता दो, हमें नहीं बताना तो कोई बात नहीं. कई दिन तक मन्ना लाल को इसी तरह परेशान किया जाता रहा. इस केस मे राजनारायण के वकील के सर सेहरा बंधा, बाद में वो वकील देश का कानून मंत्री बना, कौन था वो? जानने के लिए देखिए हमारा ये वीडियो शो विष्णु शर्मा के साथ.

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