नई दिल्ली. अटल बिहारी वाजपेयी यूं तो किशोरावस्था से ही राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ गए थे, लेकिन उनके पिता को शुरूआत में आरएसएस पसंद नहीं आता था। बावजूद उनको अपने बेटे अटल से काफी लगाव था। दरअसल वो चाहते ही नहीं थे कि बेटे किसी भी तरह की नेतागिरी में पड़ें। किशोरावस्था में अटलजी भी विचारों के प्रवाह से गुजर रहे थे, उस वक्त देश में मार्क्सवाद चरम पर था। उन दिनों कहावत मशहूर थी कि जो जवानी में कम्युनिस्ट ना हुआ वो क्या खास जवान हुआ। ऐसे में अटल जी को भी लगा कि उन्हें मार्क्सवाद के बारे में जानना चाहिए। इसीलिए उन्होंने कम्युनिस्टों से जुड़ीं स्टूडेंट्स की संस्था एआईएसएफ को ज्वॉइन कर लिया था।
ऐसा नहीं था कि केवल बाजपेयीजी को ही मार्क्सवाद को जानने की ललक लगी थी, बल्कि कांग्रेस में गांधीजी भी अपने वामपंथी होते जा रहे नेताओं से जूझ रही थी। खुद नेहरू भी वामपंथी माने जाते थे। ऐसे में पढ़ने लिखने वाले अटलजी पर गांधीजी का प्रभाव भी बढ़ता जा रहा था। उनके पिता उन्हें किसी भी आंदोलनकारी संस्था से दूर रखना चाहते थे। सो अटल और उनके भाई प्रेम को आगरा के उनके पैतृक गांव बटेश्वर में भेज दिया, वहां भी उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल चले गए। वो करीब 23 दिन तक जेल मे रहे थे।
ऐसे में संघ की शाखाओं में अटल बिहारी बाजपेयी जाते थे, लेकिन चूंकि युवा थे इसलिए उन्हें एआईएसएफ या ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन ने भी अपनी तरफ आकर्षित किया। दरअसल उन दिनों और कोई नामी छात्र संगठन था ही नहीं, जो देश के अलग अलग हिस्सों में काम करता हो, ना ही कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई की स्थापना हुई थी और ना ही संघ से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की, सो अटलजी को उनके दोस्त एआईएसएफ के लोगों से मिलाने लग गए और कई महीनों तक अटल बिहारी उनके सम्पर्क में रहे, उनके कार्यक्रमों में जाते रहे। वैसे भी संघ ने एबीवीपी की स्थापना 1949 में करवाई थी। जबकि एनएसआईयू इंदिरा गांधी के समय में 1971 में शुरू हुआ था।
ऐसे में ये खासा दिलचस्प था कि अटल बिहारी बाजपेयी संघ की शाखाओं में भी जाते थे और एआईएसएफ से भी जुड़े हुए थे, हालांकि वो आर्य सभा से भी जुड़े हुए थे राम प्रसाद बिस्मिल की ही तरह। लेकिन जल्द ही उनका एआईएसएफ से मोहभंग हो गया और उन्होंने संघ में दीक्षा ले ली और प्रचारक बन गए। लेकिन उन्होंने कभी एआईएसएफ से जुड़ने की बात को छुपाया नहीं। तभी तो जब 2016 में जेएनयू में कन्हैया कुमार वाला विवाद हुआ तो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने एआईएसएफ की तारीफ करते हुए कहा कि उनसे हमारी विचारधारा मिलती है, लेकिन वो हमारी पार्टी के अंग नहीं है, वो स्वतंत्र संगठन है। उन्होंने अपने बयान में तब एआईएसएफ की तारीफ करते हुए ये भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी कभी एआईएसएफ के सदस्य हुआ करते थे और ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि एआईएसएफ उन दिनों छात्रों का इकलौता संगठन हुआ करता था।
प्रणब मुखर्जी के मेमोरियल बनने के ऐलान के बाद शर्मिष्ठा मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी…
Womens Premier League 2025: वीमेंस प्रीमियर लीग 2025 के मुकाबले लखनऊ और बड़ौदा में खेले…
Indian Cricket Team: इंग्लैंड का भारत दौरा 22 जनवरी से 12 फरवरी तक चलेगा. इसके…
Cashless Treatment Scheme: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को नई…
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी दिल्ली चुनाव के दंगल में उतर…
Supreme Court: 2015 में दाखिल इस याचिका में जजों के कम वेतन और सेवानिवृत्ति के…