Budget 2024: 22 जुलाई से संसद का बजट सत्र शुरू हो जायेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को सदन में बजट पेश करेंगी। इस बार के बजट पर सबकी नजरें है क्योंकि यह मोदी 3.0 का पहला बजट होगा। हालांकि सोचिये कि अगर सरकार बजट पेश न करे तो फिर क्या होगा?
बजट एक तरह का दस्तावेज होता है, जिसमें सरकार के आय-व्यय का वार्षिक वित्तीय विवरण रहता है। भारत के संविधान में बजट शब्द का उल्लेख नहीं है। अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण शब्द का जिक्र है। जिसके अनुसार राष्ट्रपति के आदेश पर वित्त मंत्री सदन में बजट पेश करते हैं। बजट दस्तावेज में सरकार के खर्च और आय को तीन भागों में दिखाया गया है- संचित निधि (कंसोलिडेटेड फंड), आकस्मिक निधि और लोक लेखा। यदि संसद में बजट पेश न करे तो फिर संचित निधि से पैसा नहीं निकाल पाएगी।
सरकार को बचाये रखने के लिए बजट पास होना जरुरी होता है। संसद में बजट पेश करके पास कराना सिर्फ खर्चों के लिए जरुरी नहीं है बल्कि अगर यह पास नहीं हुआ तो सरकार पर भी संकट आ सकती है। वित्त मंत्री अगर लोकसभा में बजट बहुमत से पास नहीं करा पाए तो ऐसा माना जाता है कि सरकार अल्पमत में है। इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं कि केंद्र सरकार ने लोकसभा में विश्वास मत खो दिया है। इस कारण पूरी सरकार को इस्तीफा देना पड़ेगा। हालांकि भारत में आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि सरकार द्वारा पेश किया गया बजट लोकसभा से पारित न हो पाया हो।
सरकार के रेवेन्यू संरचना के मुताबिक 28 फीसदी बॉरोइंग और अन्य लायबिलिटी से पैसा आता है।
इनकम टैक्स से 19 फीसदी और जीएसटी से 18 फीसदी पैसा आता है।
17 फीसदी कॉरपोरेशन टैक्स और 7 फीसदी नॉन-टैक्स रीसीट से आता है।
सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और कस्टम्स मिलाकर सरकार को 9 फीसदी पैसा आता है।
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