नई दिल्ली: इन दिनों पूरे देश की निगाहें 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किये जाने वाले पूर्ण Budget पर है। इस बजट पर सबसे ज्यादा मध्यमवर्गीय परिवारों की नजरे टिकी हुई हैं। उम्मीद की जा रही की साल 2024-25 का पूर्ण बजट विकास और सुधारों से परिपूर्ण ऐतिहासिक बजट होगा। इस […]
नई दिल्ली: इन दिनों पूरे देश की निगाहें 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किये जाने वाले पूर्ण Budget पर है। इस बजट पर सबसे ज्यादा मध्यमवर्गीय परिवारों की नजरे टिकी हुई हैं। उम्मीद की जा रही की साल 2024-25 का पूर्ण बजट विकास और सुधारों से परिपूर्ण ऐतिहासिक बजट होगा। इस बजट को तैयार करने के मद्देनजर वित्तीमंत्री सीतारमण ने 19 जुलाई तक उद्योग-कारोबार,श्रम,कृषि, MSME, टैक्सेशन,शिक्षा ,स्वास्थ्य ,उपभोक्ता, आधारभूत ढाँचा, वित्त क्षेत्र सहित बजट से संबधित विभिन्न पक्षों के साथ बजट पूर्व व्यापक परामर्श किया था।
भारत सरकार वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट 23 जुलाई को पेश करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 7वीं बार संसद के पटल पर बजट रखेंगी। भारत के बजट पर न सिर्फ देश के आर्थिक संस्थानों और वित्तीय जानकारों की नजर है बल्कि विदेशी इकनॉमिक इंस्टीट्यूट भी नजरें बनाए हुए हैं।
मोदी सरकार के 23 जुलाई को आने वाले बजट को लेकर ग्लोबल ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनले ने बुधवार को एक रिपोर्ट दी है। मॉर्गन स्टैनली ने यह अंदाजा लगाया है कि बजट में 2047 तक के ‘विकसित भारत’ के लिए राजकोषीय मजबूती के लिए योजना पेश की जा सकती हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आने वाले बजट में 23 सालों बाद भारत को विकसित देश के तौर पर लाने के लिए मध्यम अवधि की योजनाएं प्रस्तुत करने पर फोकस कर सकती हैं।
मॉर्गन स्टैनली ने अपने स्टडी में कहा है कि भारत में नौकरी के मौके पैदा करने का मीडियम टर्म लक्ष्य capital expenditure के जरिए हासिल किया जाएगा। इसका अनुमान यह भी है कि वित्त वर्ष 2024 में GDP में पूंजीगत व्यय की हिस्सेदारी 3.2 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 3.5 फीसदी हो सकती है।
रिसर्च फर्म मॉर्गन स्टैनली ने अपने नोट में यह भी कहा है कि सरकार अंतरिम बजट आवंटन की तुलना में पावर ग्रिड और एनटीपीसी को आवंटन बढ़ा सकती है। उम्मीदें यह भी हैं कि सरकार की तरफ से टियर 2-3 शहरों में मांग बढ़ाने के लिए प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) में आवंटन बढ़ाया जाए।
देश के लोगों को 23 जुलाई का इंतजार हैं, फिलहाल बेरोजगारी और महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ रखी है. देखना यह होगा कि बजट के आने बाद क्या होता है सस्ता और क्या महंगा?
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