देश-प्रदेश

What is Urban Naxal: क्या होता है अर्बन नक्सल, वामपंथी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को क्यों कहा जा रहा शहरी नक्सली

नई दिल्ली. What is Urban Naxal. शहरी नक्सली क्या होता है. आप सोच रहे होंगे कि नक्सली या माओवादी तो जंगलों में रहते हैं. बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के जंगलों से निकलकर ये दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई जैसे शहरों में क्या करने लगे कि राष्ट्रीय स्यवंसेवक संघ- आरएसएस से जुड़े दक्षिणपंथी संगठनों और उनकी विचारधारा पर चलने वाले सामाजिक कार्यकर्ता शहरों में सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वामपंथी एक्टिविस्टों को शहरी नक्सली बुलाते हैं.

समझने-समाझने के लिए थोड़ा उदार लाइन लेकर साधारण तरीके से बात करें तो ये मान लीजिए कि जैसे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आतंकवादी गतिविधियों में कुछ हिन्दुओं के शामिल होने के आरोप के बाद जिस तरह से भगवा आतंकवाद शब्द का इजाद किया था, उसी तरह भगवा रंग में रंगे विचारकों और बुद्धिजीवियों ने नक्सलियों से संपर्क रखने और उनके लिए काम करने के आरोप में प्रोफेसर और डॉक्टर तक को सजा होने के बाद अर्बन नक्सल या शहरी नक्सली शब्द का इस्तेमाल शुरू कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज की रिमांड रोकी, वरवर राव समेत पांचों लेफ्ट एक्टिविस्ट 5 सितंबर तक नजरबंंद

अर्बन नक्सल का मतलब शहर में सक्रिय वो एक्टिविस्ट जो नक्सलियों या माओवादियों की वैचारिक या आर्थिक मदद करते हैं, उनसे संपर्क रखते हैं, उनके कमांडरों से मिलते हैं, उनके लिए संदेश यहां से वहां पहुंचाते हैं. ज्यादातर ये लोग वो हैं जो वामपंथी विचारधारा के लोग हैं और राजनीतिक रूप से सरकार के खिलाफ खुलकर बोलते हैं.

फिलहाल अर्बन नक्सल शब्द सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है क्योंकि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस ने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद से पांच माओवादी या नक्सली शुभचिंतकों वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरनोन गोन्जालविस, अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इनके रिमांड पर तो रोक लगाई है लेकिन सबको 5 सितंबर तक घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया है.

नवलखा, सुधा, वरवर समेत पांच एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट बोला- असहमति की आवाज सेफ्टी वॉल्व है

अर्बन नक्सल के तौर पर कोर्ट के हाथों सजा पा चुके दो बड़े नाम छत्तीसगढ़ के डॉक्टर बिनायक सेन और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा हैं. बिनायक सेन छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में बच्चों के डॉक्टर के बतौर इलाज करते थे और नक्सलियों से निपटने के पुलिस अभियान में पिसने वाले आदिवासियों या झूठे केस में फंसाकर गिरफ्तार या मार गिराए गए लोगों का मामला मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के उपाध्यक्ष के तौर पर उठाते थे.

मई, 2007 में गिरफ्तार बिनायक सेन को सुप्रीम कोर्ट ने मई, 2009 में जमानत दी थी और अगले साल 2010 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें देशद्रोह, सरकार के खिलाफ युद्ध के लिए नक्सलियों की मदद करने के आरोप में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनवाई. बिनायक सेन ने आजीवन कारावास के खिलाफ अपील कर रखी है और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सजा के बाद फिर अप्रैल, 2011 में अपील लंबित होने के आधार पर जमानत दी थी.

जो शिकायत करे उसे गोली से उड़ा दो, ये है नया भारत, माओवादी शुभचिंतकों की गिरफ्तारी पर भड़के राहुल गांधी

दूसरा नाम दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा का है जिन्हें मई, 2014 में महाराष्ट्र की गढ़चिरौली पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था. साईबाबा पर भी नक्सलियों की मदद करने, उनको भड़काने के आरोप में कड़े कानूनों के तहत केस चला और पिछले साल मार्च में उनको भी आजीवन कारावास यानी उम्रकैद की सजा दी गई है.

चलने-फिरने में अक्षम अंग्रेजी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा व्हीलचेयर पर चलते हैं और कोर्ट ने कहा कि ये बात सही है कि साईबाबा का शरीर 90 परसेंट नाकाम है लेकिन उनका दिमाग फिट है और वो प्रतिबंधित संगठन के थिंकटैंक हैं. उनके साथ चार और लोगों को उम्रकैद की सजा हुई जिसमें पत्रकार भी थे.

माओवादी संपर्क के आरोप में एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी पर लालू यादव बोले-आपातकाल की ओर बढ़ रहा देश

इसी तरह से डीयू की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर पर छत्तीसगढ़ की पुलिस ने नक्सलियों का मददगार होने और नक्सली कमांडरों से मिलकर सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया. ये सारे आरोप पुलिस ने एक नक्सली कमांडर पोडियम पांडा के सरेंडर करने के बाद उसके हवाले से सामने रखी जिसमें पांडा ने दावा किया कि वो ही नंदिनी सुंदर वगैरह को रमन्ना, हिदमा, पापाराव अयातु, अर्जुन जैसे टॉप माओवादी कमांडरों से मिलवाता था. नंदिनी सुंदर ने इसके जवाब में कहा कि पुलिस ने हिरासत में पांडा से जबरन ये झूठा बयान दिलवाया है.

तो सरसरी तौर पर ये कहा जा सकता है कि शहरों में प्रोफेसर, डॉक्टर जैसे प्रतिष्ठा के पदों पर बैठे लोग जब नक्सलियों या माओवादियों से संपर्क रखते हैं, उनको वैचारिक मदद देते हैं, उनको आर्थिक मदद देते हैं, उनको सूचनाएं देते हैं, उनकी किसी भी तरह से मदद करते हैं तो वो अर्बन नक्सल या शहरी नक्सल कहे जाते हैं. नक्सली चूंकि जंगल में होते हैं इसलिए शहर में उनके शुभचिंतकों को अर्बन नक्सल नाम दे दिया गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली इनको आधा माओवादी कहते हैं. राष्ट्रवादी विचारधारा के फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने एक किताब ही लिखी है- अर्बन नक्सल. इसलिए ज्यादातर लोग इस शब्द के आविष्कार और खोज का श्रेय विवेक अग्निहोत्री को देते हैं.

#UrbanNaxal बनाम #MeTooUrbanNaxal: सरकार विरोधियों को अर्बन नक्सल बताने का फैशन

नक्सलियों से संपर्क रखने वाले और उनकी मदद करने वाले शहरी बुद्धिजीवियों के अलावा अब अर्बन नक्सल शब्द का राजनीतिक इस्तेमाल दूसरे तौर पर हो रहा है. मसलन अगर आप सोशल मीडिया और खास तौर पर फेसबुक या ट्वीटर पर सक्रिय होंगे तो आप आए दिन देखते होंगे कि सरकार के फैसले के खिलाफ बोलने वाले लोगों को सरकार समर्थक लोग अर्बन नक्सल कह देते हैं.

पीएम मोदी की हत्या की कथित साजिश में माओवादी समर्थकों पर देशव्यापी छापे, गौतम नवलखा और वरवर राव गिरफ्तार

एक तरह से अर्बन नक्सल शब्द अब एक राजनीतिक हथियार बन चुका है जिसका इस्तेमाल वामपंथियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ आम तौर पर संघ, भाजपा और मौजूदा सरकार के समर्थक सार्वजनिक रूप से करते हैं ताकि सामने वाले के बारे में ये धारण फैलाई जा सके कि ये भी नक्सलियों का हितैषी है भले ही वो आदमी नौकरी, नोटबंदी, आदिवासियों की बेदखली या रक्षा सौदे पर ही सरकार से सवाल क्यों नहीं कर रहा हो.

पुलिस के फर्जी मुठभेड़ में मौत पर सवाल उठाया तो अर्बन नक्सल. गरीबों या आदिवासियों के अधिकार की बात कर दी तो अर्बन नक्सल. जो बात सत्ता को पसंद ना आए, जो सवाल सत्ता को चुभे, वो सवाल पूछने वाले अर्बन नक्सल. एक तरह से सरकार से सवाल या सरकार के विरोध को खारिज करने का राजनीतिक हथकंडा बन गया है सवाल उठाने वाले को अर्बन नक्सल कहना.

JNU छात्र नेता उमर खालिद बोले- सांभाजी भिड़े की जगह मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर रही पुलिस

यही वजह है कि जब भीमा कोरेगांव हिंसा मामले का पुलिस ने नक्सली लिंक निकालकर गौतम नवलखा, वरवर राव, सुधा भारद्वाज समेत पांच माओवादी शुभचिंतकों को गिरफ्तार किया तो सोशल मीडिया पर पत्रकार, लेखक, निर्देशक, फिल्म कलाकार से लेकर तमाम तरह के बुद्धिजीवी और आम लोग भी ट्टवीटर पर लिखने लगे कि हम भी अर्बन नक्सल हैं. ज्यादातर का यही कहना था कि अगर सरकार के खिलाफ बोलना नक्सल गतिविधि है तो उनको भी नक्सली मान लिया जाए.

इतने ज्यादा लोगों ने ऐसी बात लिखी कि #MeTooUrbanNaxal ट्वीटर पर लंबे समय तक एक नंबर पर ट्रेंड करता रहा. इसकी शुरुआत खुद अग्निहोत्री ने की जब उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि ऐसे लोगों की लिस्ट बनाया जाए जो शहरी नक्सली हैं और फिर शुरू हो गया मैं भी अर्बन नक्सल का ट्रेंड. चलते-चलते उन ट्वीट्स को पढ़िए और समझिए कि कौन किस साइड खड़ा है और जिधर खड़ा है वहां से क्या बोल रहा है.

Aanchal Pandey

Recent Posts

महाराष्ट्र चुनाव: 288 सीटों पर 5 बजे तक 58 फीसदी मतदान, गढ़चिरौली में सबसे ज्यादा 69.63% वोटिंग

महाराष्ट्र में सभी 288 सीटों पर बुधवार की शाम 5 बजे तक 58.22% मतदान हुआ.…

12 minutes ago

मौलाना ने दी हिंदुओं को धमकी, धर्मस्थल को बचाने की कोशिश, बाबरी मस्जिद की आ गई याद

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़ने…

21 minutes ago

एग्जिट पोल्स की खुली पोल, सर्वे में सामने आई चौंकाने वाली बात!

साल 2024 में तीन बड़े चुनावों के एग्जिट पोल गलत साबित हुए हैं। ये वही…

31 minutes ago

एआर रहमान ने तलाक के ऐलान के बाद ये क्या कर दिया? लोगों ने तो मजे ले लिए

एआर रहमान ने अपने पोस्ट में लिखा है कि हमने ग्रैंड थर्टी तक पहुंचने की…

31 minutes ago

तलाक लेना पति की जेब पर पड़ा भारी, चुकानी होगी हर महीने मोटी रकम

तलाक की कार्यवाही के दौरान पत्नी को अपना लाइफस्टाइल बनाए रखने का अधिकार है. बेंच…

44 minutes ago

बहू की ‘खुशी’ ने पहुंचाया जेल, ससुर का मर्डर कराकर कर रही थी नौटंकी!

शाहजहाँपुर पुलिस ने बहुचर्चित रामसेवक हत्याकांड का खुलासा कर दिया है। जमीन के लालच में…

44 minutes ago