भीमा कोरेगांव हिंसा में नक्सली लिंक और फिर उस लिंक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा और उस खुलासे को पकड़कर दिल्ली, फरीदबाद, मुंबई, हैदराबाद से वामपंथी विचारकों, लेखकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद अर्बन नक्सल शब्द ट्रेंड कर रहा है. क्या होता है अर्बन नक्सल. किसी को कोई क्यों कहता है शहरी नक्सली. गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव समेत पांच एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी के साए में समझते हैं कि कौन किसे अर्बन नक्सल कह रहा है और क्यों कह रहा है.
नई दिल्ली. What is Urban Naxal. शहरी नक्सली क्या होता है. आप सोच रहे होंगे कि नक्सली या माओवादी तो जंगलों में रहते हैं. बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के जंगलों से निकलकर ये दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई जैसे शहरों में क्या करने लगे कि राष्ट्रीय स्यवंसेवक संघ- आरएसएस से जुड़े दक्षिणपंथी संगठनों और उनकी विचारधारा पर चलने वाले सामाजिक कार्यकर्ता शहरों में सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वामपंथी एक्टिविस्टों को शहरी नक्सली बुलाते हैं.
समझने-समाझने के लिए थोड़ा उदार लाइन लेकर साधारण तरीके से बात करें तो ये मान लीजिए कि जैसे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आतंकवादी गतिविधियों में कुछ हिन्दुओं के शामिल होने के आरोप के बाद जिस तरह से भगवा आतंकवाद शब्द का इजाद किया था, उसी तरह भगवा रंग में रंगे विचारकों और बुद्धिजीवियों ने नक्सलियों से संपर्क रखने और उनके लिए काम करने के आरोप में प्रोफेसर और डॉक्टर तक को सजा होने के बाद अर्बन नक्सल या शहरी नक्सली शब्द का इस्तेमाल शुरू कर दिया है.
अर्बन नक्सल का मतलब शहर में सक्रिय वो एक्टिविस्ट जो नक्सलियों या माओवादियों की वैचारिक या आर्थिक मदद करते हैं, उनसे संपर्क रखते हैं, उनके कमांडरों से मिलते हैं, उनके लिए संदेश यहां से वहां पहुंचाते हैं. ज्यादातर ये लोग वो हैं जो वामपंथी विचारधारा के लोग हैं और राजनीतिक रूप से सरकार के खिलाफ खुलकर बोलते हैं.
फिलहाल अर्बन नक्सल शब्द सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है क्योंकि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस ने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद से पांच माओवादी या नक्सली शुभचिंतकों वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरनोन गोन्जालविस, अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इनके रिमांड पर तो रोक लगाई है लेकिन सबको 5 सितंबर तक घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया है.
अर्बन नक्सल के तौर पर कोर्ट के हाथों सजा पा चुके दो बड़े नाम छत्तीसगढ़ के डॉक्टर बिनायक सेन और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा हैं. बिनायक सेन छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में बच्चों के डॉक्टर के बतौर इलाज करते थे और नक्सलियों से निपटने के पुलिस अभियान में पिसने वाले आदिवासियों या झूठे केस में फंसाकर गिरफ्तार या मार गिराए गए लोगों का मामला मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के उपाध्यक्ष के तौर पर उठाते थे.
मई, 2007 में गिरफ्तार बिनायक सेन को सुप्रीम कोर्ट ने मई, 2009 में जमानत दी थी और अगले साल 2010 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें देशद्रोह, सरकार के खिलाफ युद्ध के लिए नक्सलियों की मदद करने के आरोप में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनवाई. बिनायक सेन ने आजीवन कारावास के खिलाफ अपील कर रखी है और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सजा के बाद फिर अप्रैल, 2011 में अपील लंबित होने के आधार पर जमानत दी थी.
दूसरा नाम दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा का है जिन्हें मई, 2014 में महाराष्ट्र की गढ़चिरौली पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था. साईबाबा पर भी नक्सलियों की मदद करने, उनको भड़काने के आरोप में कड़े कानूनों के तहत केस चला और पिछले साल मार्च में उनको भी आजीवन कारावास यानी उम्रकैद की सजा दी गई है.
चलने-फिरने में अक्षम अंग्रेजी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा व्हीलचेयर पर चलते हैं और कोर्ट ने कहा कि ये बात सही है कि साईबाबा का शरीर 90 परसेंट नाकाम है लेकिन उनका दिमाग फिट है और वो प्रतिबंधित संगठन के थिंकटैंक हैं. उनके साथ चार और लोगों को उम्रकैद की सजा हुई जिसमें पत्रकार भी थे.
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इसी तरह से डीयू की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर पर छत्तीसगढ़ की पुलिस ने नक्सलियों का मददगार होने और नक्सली कमांडरों से मिलकर सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया. ये सारे आरोप पुलिस ने एक नक्सली कमांडर पोडियम पांडा के सरेंडर करने के बाद उसके हवाले से सामने रखी जिसमें पांडा ने दावा किया कि वो ही नंदिनी सुंदर वगैरह को रमन्ना, हिदमा, पापाराव अयातु, अर्जुन जैसे टॉप माओवादी कमांडरों से मिलवाता था. नंदिनी सुंदर ने इसके जवाब में कहा कि पुलिस ने हिरासत में पांडा से जबरन ये झूठा बयान दिलवाया है.
तो सरसरी तौर पर ये कहा जा सकता है कि शहरों में प्रोफेसर, डॉक्टर जैसे प्रतिष्ठा के पदों पर बैठे लोग जब नक्सलियों या माओवादियों से संपर्क रखते हैं, उनको वैचारिक मदद देते हैं, उनको आर्थिक मदद देते हैं, उनको सूचनाएं देते हैं, उनकी किसी भी तरह से मदद करते हैं तो वो अर्बन नक्सल या शहरी नक्सल कहे जाते हैं. नक्सली चूंकि जंगल में होते हैं इसलिए शहर में उनके शुभचिंतकों को अर्बन नक्सल नाम दे दिया गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली इनको आधा माओवादी कहते हैं. राष्ट्रवादी विचारधारा के फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने एक किताब ही लिखी है- अर्बन नक्सल. इसलिए ज्यादातर लोग इस शब्द के आविष्कार और खोज का श्रेय विवेक अग्निहोत्री को देते हैं.
#UrbanNaxal बनाम #MeTooUrbanNaxal: सरकार विरोधियों को अर्बन नक्सल बताने का फैशन
नक्सलियों से संपर्क रखने वाले और उनकी मदद करने वाले शहरी बुद्धिजीवियों के अलावा अब अर्बन नक्सल शब्द का राजनीतिक इस्तेमाल दूसरे तौर पर हो रहा है. मसलन अगर आप सोशल मीडिया और खास तौर पर फेसबुक या ट्वीटर पर सक्रिय होंगे तो आप आए दिन देखते होंगे कि सरकार के फैसले के खिलाफ बोलने वाले लोगों को सरकार समर्थक लोग अर्बन नक्सल कह देते हैं.
एक तरह से अर्बन नक्सल शब्द अब एक राजनीतिक हथियार बन चुका है जिसका इस्तेमाल वामपंथियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ आम तौर पर संघ, भाजपा और मौजूदा सरकार के समर्थक सार्वजनिक रूप से करते हैं ताकि सामने वाले के बारे में ये धारण फैलाई जा सके कि ये भी नक्सलियों का हितैषी है भले ही वो आदमी नौकरी, नोटबंदी, आदिवासियों की बेदखली या रक्षा सौदे पर ही सरकार से सवाल क्यों नहीं कर रहा हो.
पुलिस के फर्जी मुठभेड़ में मौत पर सवाल उठाया तो अर्बन नक्सल. गरीबों या आदिवासियों के अधिकार की बात कर दी तो अर्बन नक्सल. जो बात सत्ता को पसंद ना आए, जो सवाल सत्ता को चुभे, वो सवाल पूछने वाले अर्बन नक्सल. एक तरह से सरकार से सवाल या सरकार के विरोध को खारिज करने का राजनीतिक हथकंडा बन गया है सवाल उठाने वाले को अर्बन नक्सल कहना.
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यही वजह है कि जब भीमा कोरेगांव हिंसा मामले का पुलिस ने नक्सली लिंक निकालकर गौतम नवलखा, वरवर राव, सुधा भारद्वाज समेत पांच माओवादी शुभचिंतकों को गिरफ्तार किया तो सोशल मीडिया पर पत्रकार, लेखक, निर्देशक, फिल्म कलाकार से लेकर तमाम तरह के बुद्धिजीवी और आम लोग भी ट्टवीटर पर लिखने लगे कि हम भी अर्बन नक्सल हैं. ज्यादातर का यही कहना था कि अगर सरकार के खिलाफ बोलना नक्सल गतिविधि है तो उनको भी नक्सली मान लिया जाए.
इतने ज्यादा लोगों ने ऐसी बात लिखी कि #MeTooUrbanNaxal ट्वीटर पर लंबे समय तक एक नंबर पर ट्रेंड करता रहा. इसकी शुरुआत खुद अग्निहोत्री ने की जब उन्होंने ट्वीटर पर लिखा कि ऐसे लोगों की लिस्ट बनाया जाए जो शहरी नक्सली हैं और फिर शुरू हो गया मैं भी अर्बन नक्सल का ट्रेंड. चलते-चलते उन ट्वीट्स को पढ़िए और समझिए कि कौन किस साइड खड़ा है और जिधर खड़ा है वहां से क्या बोल रहा है.
The “half Maoist” is a serious threat to Indian democracy. Willingly or otherwise, they become over-ground face of the underground. Unfortunately some political parties see the Maoist as their instrument in the anti-NDA cause. It’s high time that people recognise this malaise.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) June 8, 2018
I want some bright young people to make a list of all those who are defending #UrbanNaxals Let’s see where it leads. If you want to volunteer with commitment, pl DM me. @squintneon would you like to take the lead?
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 28, 2018
All these names of #UrbanNaxals have been there with Manmohan Singh’s Govt also. Many times Sonia Gandhi was also made aware.
But that Govt refused to act against its own patrons.
This Govt did.
That is the real problem.
Congratulations @rajnathsingh for courageous work.— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
Hello @svaradarajan the media warrior of #UrbanNaxals since you are interested in ‘visits’ of people, let’s look at your wife @nandinisundar’s visits to Bastar. Pl read the thread. https://t.co/0cE0sk20VR
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
What happened to your questions brother? You don’t even have the guts to meet me personally, I fail to understand how do you practice dissent? Do you even know what is dissent? Risking my life and raising voice against armed enemies of India is dissent. Do it if you can. https://t.co/7poOiLZcgV
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
They are so stupid that soon when I’ll make a list of terrorists, they would want to be in it.
When comedy fails, practice tragedy. https://t.co/fqhUs6dQ1c— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
You are not worth it. https://t.co/h48AbLGyHy
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
You don’t deserve it. https://t.co/fqhUs6dQ1c
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
Why is making a list of enemies of the state and their defenders a crime for #UrbanNaxals. Why are you even trying to belong there when you are not competent enough to be even an #UrbanNaxal? https://t.co/Nmu4dhNbdA
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
Why so rattled Mr. editor? https://t.co/jhT3q59a7N
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
Congratulations @KiranManral you have just graduated from Dictatorship, Fascism, intolerance, Naziism to McCathyism. Welcome to the world of McCarthy until you find another ‘ism’. https://t.co/4OSzRTtze4
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
Hey @ashwinmushran I don’t know which industry you are talking about? Bollywood? I resigned from your club of mediocrity long time ago. So enjoy your cozy club of orgy and don’t feel bad about me. I am serving my country in my own way. You mind your own mediocre business. https://t.co/eG7201yRwM
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
Waterloo नहीं कुरुक्षेत्र की बात करो @ashutosh83B लड़ाई कौरवों और भारतियों की है। आप बताइए आप कहाँ खड़े है? https://t.co/k7I2xIKenf
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 28, 2018
I’ll be obliged for your kind gesture. Please start now. But how can you do that? You are not even #UrbanNaxal. Yo7 are just a pimp of Congress. https://t.co/EAyI5WOsoH
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
Poster girl of #UrbanNaxals won’t debate with me but always ready to defend the enemies of the state. https://t.co/GIiJ4EylaD
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 28, 2018
'Urban Naxal', 'Half Maoist', 'Love jehad', 'Free Sex', 'Tukde Tukde Gang' – just some of the nonsense phrases used to smear activists, intellectuals and basically anyone defending rights of people under attack from the Modi Govt!
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) August 28, 2018
Pl read this. And share with all those who are signing up for #MeTooUrbanNaxal https://t.co/ng5fDQavz6
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
#UrbanNaxals are India’s biggest internal security threat. They must be defeated. You can read more about these invisible enemies of India. pic.twitter.com/js5ZeH5uuB
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 28, 2018
#MeTooUrbanNaxal is SUCH A TIGHT SLAP !!!!! 🤣🤣🤣🤣🤣🤣 Kudos to #TwitterWarriors
— Swara Bhasker (@ReallySwara) August 29, 2018
A certain so called filmmaker on Twitter is so insignificant that his rabble rousing Tweets should simply be ignored. He’s dying for a reaction and by responding to his hateful message we are giving him exactly that.
— Shunali Khullar Shroff (@shunalishroff) August 29, 2018
I have all symptoms of being an #UrbanNaxal. Who should I report this to? #MeTooUrbanNaxal
— Suresh Mathew (@Suresh_Mathew_) August 29, 2018
Put me on the list please #MeTooUrbanNaxal ….
If bright young people are making lists to target their fellow citizens, they can't be very bright. .. https://t.co/Q8qVmpaVC3— Harini Calamur (@calamur) August 29, 2018
Heard that a fellow filmmaker is making a list of people who are supporting the Human Right Activists. Please count me in #MeTooUrbanNaxal
— Ashwini Chaudhary (@DhoopAshwini) August 29, 2018
I will question my government till my last breath ! I won't be bullied or shamed ! every cell every fiber of mine will dissent !! #ProudToBeUrbanNaxal#MeTooUrbanNaxal
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) August 29, 2018
I think. I debate. I read. I question. I dissent. I criticise. I emphatise. I protest. I probe. I exist. #MeTooUrbanNaxal
— amrita madhukalya (@visually_kei) August 29, 2018
I love my country.
Will fight for it till my last breath— Rana Safvi رعنا राना (@iamrana) August 29, 2018
Folks, I am told Emergency has been imposed..
People are not allowed to speak.
You are not allowed to criticize the PM.
Not even allowed to say anything against Govt.
Freedom of expression has been murdered mercilessly.And #MeTooUrbanNaxal is trending on Social Media.
OK.
— Yashwant Deshmukh 🇮🇳 (@YRDeshmukh) August 29, 2018
Tons of people are already using #MeTooUrbanNaxal on Twitter and Facebook. Let us destroy this new fascist wet dream of branding those who stand up for the underprivileged and marginalised sections of the society as Urban Naxals.
— Pratik Sinha (@free_thinker) August 29, 2018
https://twitter.com/akashbanerjee/status/1034705148444962816
Trust @ttindia to capture the mood of the nation. It's chilling. #Emergency #MeTooUrbanNaxal pic.twitter.com/P7H2mCaQUy
— Aparna (@chhuti_is) August 29, 2018
#MeTooUrbanNaxal @vivekagnihotri …..This list is bigger in size than number of people have watched your films !! So, frame it in your study room !!! You have never received such huge response 😂😂😂🤣🤣🤣🤣 #FekuBhakts
— Amey Tirodkar (@ameytirodkar) August 29, 2018
Love the #MeTooUrbanNaxal trend. More power to resilience. More power to the good fight. ❤️
— Nazia Erum (@nazia_e) August 29, 2018
I would cringe & die of shame if I was part of any movement which includes the daft Vivek Agnihotri! #MetooUrbanNaxal
— Swati Chaturvedi (@bainjal) August 29, 2018
https://twitter.com/ippatel/status/1034712451038597121
If @Sudhabharadwaj is a naxal, I am a naxal too. Arrest me. #MetooUrbanNaxal
— nikhil wagle (@waglenikhil) August 29, 2018
Heard they are making a list of people who question the government, would love to be added in that, so we are Anti – Establishment, Anti- National Now #MeTooUrbanNaxal 🙂
— Airavta (@Airavta) August 29, 2018
ATS arrested Sanatan Sanstha member, But I didn't see #MeTooSanatanSanstha Trend.
After Anti India slogans in JNU, Liberals trended #IAmAntiNational.
After raids over links with Naxals or Koregaon Violence, Liberals trending #MeTooUrbanNaxal.
This is Left Ecosystem for you.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) August 29, 2018
https://twitter.com/HasibaAmin/status/1034674191616770049
I am reading Arundhati Roy’s book Broken Republic. Modi Ji, come arrest me. #MeTooUrbanNaxal pic.twitter.com/XO37FXTuRu
— Sanjay Jha (@JhaSanjay) August 29, 2018
All these idiots protesting with #MeTooUrbanNaxal as if people are gonna disagree with them. 🙄
— Shuchi Singh (@theshuchisingh) August 29, 2018
Interesting to see all those hounding @vivekagnihotri for his innocuous tweet on making a list of #UrbanNaxal supporters online are the exact same guys who howl ‘freedom of expression’ every 30 seconds on other occasions.
— Shefali Vaidya. 🇮🇳 (@ShefVaidya) August 29, 2018
Arun Ferreira jailed – 2007, UPA
Vernon convicted under UAPA – 2007, UPA
Gautam Navlakha detained in Srinagar – 2011, UPA
Rona Wilson interrogated in Geelani case – 2005, UPA
Binayak Sen arrested, convicted – 2007 & 2010, UPA
But "undeclared Emergency" – 2018, Modi#UrbanNaxals https://t.co/DXOv5ZJwlC— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) August 29, 2018
#MeTooUrbanNaxal, what about you? pic.twitter.com/0y8lrz3IUo
— Pratik Sinha (@free_thinker) August 29, 2018