पटना: बिहार विधानसभा में एक बार फिर शराबबंदी को लेकर बवाल हुआ, बीजेपी ने शराबबंदी को नाकाम बताया तो सीएम नीतीश कुमार का गुस्सा सातवें आसमान पर देखने को मिला. आरोप-प्रत्यारोप तो बहुत हुए, लेकिन नतीजा क्या निकला? क्या अब सब ठीक होगा? क्या अब वाकई बिहार में शराब की बिक्री बंद हो जाएगी? क्या […]
पटना: बिहार विधानसभा में एक बार फिर शराबबंदी को लेकर बवाल हुआ, बीजेपी ने शराबबंदी को नाकाम बताया तो सीएम नीतीश कुमार का गुस्सा सातवें आसमान पर देखने को मिला. आरोप-प्रत्यारोप तो बहुत हुए, लेकिन नतीजा क्या निकला? क्या अब सब ठीक होगा? क्या अब वाकई बिहार में शराब की बिक्री बंद हो जाएगी? क्या अब कोई नहीं होगा जहरीली शराब का शिकार? यह कहना मुश्किल है, क्योंकि छह साल पहले 2016 में जब बिहार में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा हुई थी, तब भी कई दावे किए गए थे, लेकिन बिहार में शराब पर ऐसी पाबंदी का क्या फायदा जब बिहार में शराब खुलेआम पी जा रही है. आइये आपको आंकड़ों के जरिये बिहार की शराबबंदी के हक़ीक़त से रूबरू करवाते हैं:
इस बवाल के पीछे की वजह?
इस बार शराबबंदी को लेकर हो रहे बवाल की वजह जहरीली शराब पीने से 21 लोगों की मौत है. दरअसल, इस बार सारण जिले के दोइला गांव में नकली शराब से 21 लोगों की जान चली गई. जहरीली शराब पीने के बाद उसकी तबीयत बिगड़ी और उल्टी होने लगी, यही नहीं, इसे पीने की बाद कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई और कई की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई. कई ऐसे थे जिन्होंने इलाज तो कराया, लेकिन शराब का जहर यहां तक फैल चुका था कि उन्हें बचाया नहीं जा सकता था.
बिहार में शराब पीने वालों की तादाद का कोई पैमाना नहीं है लेकिन वहां जितनी शराब पकड़ी जाती है और शराब पीने वालों की तादाद पर एक सर्वे के ज़रिये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. यह सर्वे 2020 में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे ने कराया था। यानी कि यह शराबबंदी लागू होने के चार साल बाद किया गया था.
वहीं आंकड़ों पर नजर डालें तो सर्वे में सामने आया कि बिहार में 15.5% लोग शराब पीते हैं. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विभाजित करें तो यह ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8% और शहरी क्षेत्रों में 14% है। इसमें जो हैरान करने वाली बात सामने आई है उसके मुताबिक़ शराब पीने के मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं रहती हैं. सर्वेक्षण से पता चला कि शहरी क्षेत्रों में 0.5% और ग्रामीण क्षेत्रों में 0.4% महिलाएं शराब पीती है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात भी सामने आई कि बिहार में शराब पीने वाले लोग पहले से तीन गुना ज्यादा शराब खरीदते हैं. इसका सीधा फायदा शराब माफिया उठा रहे हैं। जब पुलिस हस्तक्षेप करती है, तो बूटलेगर (शराब की तस्करी करने वाले) पकड़े जाते हैं, लेकिन सिंडिकेट फिर भी बरकरार रहता है, इसलिए शराब की आपूर्ति और खपत पर असर नहीं रहता है.
बिहार में 2022 में करीब एक करोड़ लीटर शराब जब्त की गई थी। बिहार में आधी से ज्यादा मात्रा अवैध शराब की पाई जाती है, सवाल यह है कि जब शराब तस्करी पर नजर रखने के लिए कई चौकियों पर ऑनलाइन नजर रखी जा रही है, तो बिहार में शराब कैसे पहुंची?
माना जाता है कि बिहार में जब्त किए गए ज्यादातर अवैध शराब का उत्पादन राज्य में ही होता है। बाकी झारखंड, यूपी, नेपाल और पश्चिम बंगाल से लाई जाती है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के हवाले से आपको बता दें, बिहार में प्रतिबंध लागू होने के बाद से अब तक पांच लाख से ज्यादा मामले प्रतिबंध कानून के तहत दर्ज किए जा चुके हैं. इसके अलावा 25 लाख लीटर से अधिक अवैध शराब जब्त की गई है।
बिहार में जहरीली शराब से होने वाली मौत का सिलसिला लगातार बढ़ ही रहा है. ऐसे में आलम ये कि सारण में 21 लोगों की मौत हाल ही की घटना है, 5 अगस्त से पहले इसी जिले सारण में जहरीली शराब से 9 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 19 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. मार्च महीने में तीन जिलों में जहरीली शराब ने कहर बरपाया था. उस वक्त भागलपुर, मधेपुरा और बांका जिले में करीबन 37 लोगों की मौत की खबर आई थी. यही नहीं, बीते साल भी बिहार में जहरीली शराब से 66 लोगों की मौत की खबर सुर्खियों में रही थी. गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण में करीब 40 लोगों की मौत जहरीली शराब के सेवन से हो गई थी.