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क्या है UPSC लेटरल एंट्री सिस्टम और कब हुई थी शुरुआत? जानें आसान भाषा में सब कुछ

नई दिल्ली: देश में यूपीएससी लेटरल एंट्री की लेकर सियासी जंग छिड़ी हुई है, जहां केंद्र सरकार ने इसके तहत नियुक्तियों की घोषणा की, वहीं विपक्ष इसे भाजपा की साजिश करार कर कह रहा कि इससे RSS के लोगों को भर्ती किया जाएगा। ऐसे में हम आपको समझाते हैं कि ये लेटरल सिस्टम है क्या और इसकी शुरुआत कब हुई ?

कांग्रेस लाई थी लेटरल एंट्री सिस्टम

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पहली सरकार थी जिसने लेटरल एंट्री की अवधारणा को सामने रखा था। 2005 में, दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग गठित किया गया था और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली इस आयोग के अध्यक्ष थे।  आयोग की सिफारिश थी कि उच्च सरकारी पद, जिसके लिए विशेष ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है, के लिए लेटरल एंट्री शुरू की जानी चाहिए।

जानें क्या है लेटरल एंट्री ?

अगर लेटरल एंट्री की बात करें तो यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए उम्मीदवारों को बिना परीक्षा दिए सीधे उन पदों पर नियुक्त किया जाता है जिन पर आईएएस रैंक के अधिकारी तैनात होते हैं। अपको बताते है कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

  • विशेषज्ञता की जरूरत: आयोग के अनुसार, कुछ सरकारी पदों के लिए विशिष्ट ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है, जो सिविल सेवाओं के अधिकारियों में हमेशा उपलब्ध नहीं होते हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए, आयोग ने नौकरशाही में लेटरल एंट्री के माध्यम से निजी क्षेत्र, शिक्षा और सार्वजनिक क्षेत्रों में पेशेवरों की भर्ती की सिफारिश की।
  • नया दृष्टिकोण : आयोग ने पेशेवरों के एक प्रतिभा पूल के निर्माण का प्रस्ताव दिया था, जिन्हें कुछ समय के लिए सरकार में शामिल किया जा सकता है। आयोग ने सिफारिश की थी कि ये पेशेवर अर्थव्यवस्था, वित्त, प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक नीति जैसे क्षेत्रों में नए दृष्टिकोण और विशेषज्ञता लाएंगे।

आयोग ने लेटरल एंट्री भर्ती के लिए पारदर्शी और योग्यता-आधारित चयन प्रक्रिया के लिए एक समर्पित एजेंसी स्थापित करने का सुझाव दिया। आयोग ने लेटरल एंट्री भर्ती को मौजूदा सिविल सेवाओं में इस तरह से ढालने पर जोर दिया कि सिविल सेवा प्रणाली को बनाए रखा जा सके और लेटरल एंट्री पेशेवरों की विशेषज्ञता और कौशल का लाभ उठाया जा सके।

कब हुई शुरुआत?

नीति आयोग ने 2017 में प्रस्तुत अपने तीन वर्षीय एजेंडा रिपोर्ट में केंद्र सरकार में मध्यम और वरिष्ठ स्तर पर लेटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्ति की सिफारिश की थी, जिसमें कहा गया कि लैटरल एंट्री के ज़रिए नियुक्त होने वाले अधिकारी केंद्रीय सचिवालय का हिस्सा होंगे। लैटरल एंट्री के तहत की जाने वाली नियुक्तियां 3 साल के अनुबंध पर होंगी, जिसे कुल 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

ये भी पढ़े:- ‘जब मनमोहन सिंह लेटरल एंट्री द्वारा सचिव बने तो क्यों हल्ला कर रही कांग्रेस’, कानून मंत्री ने विपक्ष पर किया तीखा वार

Neha Singh

निर्भीक और बेबाक हूं। शब्दों से खेलना अच्छा लगता है। देश दुनिया की व्यवस्थाएं चाहे वो अच्छी हो या बुरी जनता तक बिना किसी परत के पहुंचाना चाहती हूं, इसलिए पत्रकार भी हूं। राजनीति में रुचि है, साथ ही कभी कभी इतिहास के पन्ने भी खोल कर देखती रहती हूं।

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