Moon potholes: चांद पर इतने गड्ढे इतने गड्ढे क्यों हैं

नई दिल्ली। चांद पर कोई गीत लिखता है. तो कोई लिखता है कविताएं और कोई कहता है शायरियां. चांद को लेकर सबकी अलग-अलग सोच और कल्पनाएं है. कभी चांद बच्चों के लिए चन्दा मामा बन जाता है. तो कभी प्रेमी के लिए उसकी प्रमिका कभी सुहागन के लिए भगवान और कभी कलाकार का गीत बन […]

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Moon potholes: चांद पर इतने गड्ढे इतने गड्ढे क्यों हैं

Sachin Kumar

  • October 14, 2023 7:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली। चांद पर कोई गीत लिखता है. तो कोई लिखता है कविताएं और कोई कहता है शायरियां. चांद को लेकर सबकी अलग-अलग सोच और कल्पनाएं है. कभी चांद बच्चों के लिए चन्दा मामा बन जाता है. तो कभी प्रेमी के लिए उसकी प्रमिका कभी सुहागन के लिए भगवान और कभी कलाकार का गीत बन जाता है. हम अक्सर ये सुनते आ रहे है की चांद में भी दाग होते है और कभी कभी पृथ्वी से भी चांद के दाग को देखा जा सकता है मगर क्या आप जानतें है चांद में दिख रहे को दाग , असल में दाग नहीं चांद की सताह पर हो रहे. गड्ढे है जिसको आपने हाल ही में चंद्रयान की लैंडिंग में देखा होगी, चांद की तस्वीरें में साफ तौर पर देखा होंगा, की दाग नहीं गड्ढे मगर आपने कभी सोचा है कि आखिर चांद में इतने गड्ढे क्यों हैं, इसके पिछे का कारण क्या हो सकता है?

देखे नासा की रिपोर्ट

नासा की रिपोर्ट के अनुसार ये गड्ढे उल्कापिंडों से बने हैं जो करोड़ों सालों से चांद पर गिर रहे है और चांद पर गड्ढे कर रहें है. ऐसा चांद पर वायुमंडल ना होने की वजह से पेड़-पौधे नहीं हैं, तथा ना ही पानी है, हवा है, जिसकी वजह से जो गड्ढे बन गए है. वो हमेशा ही बने रह जाते हैं.

जानें क्या कहती है दुनिया

मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा नाम की जगह है, जहां पर लोग अनोखे सवाल पूछते हैं और आम लोग उनके जवाब भी देते हैं. हालांकि, इन जवाबों को पूरी तरह सही नहीं कहा जा सकता क्योंकि इस पर एक्सपर्ट्स की राए नहीं होती. कोरा पर भी किसी ने सवाल किया था कि चांद पर गड्ढे क्यो होते है इसी का जबाब देते हुए एक युजर राघव सिंह लिखते हैं- “हमरा अंतरिक्ष एक खतरनाक स्थान है. जहां अन गिनत संख्या में बड़े और छोटे पत्थर घूमते रहते हैं जिन्हें उल्का पिंड कहते हैं. जो एक तिनके के बराबर से लेकर हिमालय के पहाड़ों से भी बड़े हो सकते. वैसे ये मंगल तथा बृहस्पति की कक्षा के बीच में चक्कर लगाते रहते हैं मगर इनमें से कुछ पिंड अपना रास्ता भटक जाते है और अन्य ग्रहों तथा उपग्रहो का चक्कर लगाते रहते है एंव उनसे टकरा जाते हैं. आमतौर पर, प्रतिदिन पृथ्वी पर 2.5 करोड़ छोटे बड़े पिंड प्रवेश करते हैं लेकिन इनमे से ज्यादातर पृथ्वी की वायुमंडल से जल कर खाक हो जाते है और सतह तक पहुंच ही नहीं पाते. लेकिन चंद्र पर उसे बचाव के लिए कोई वायुमंडल नहीं है इस लिए जितने भी पिंड चांद पर प्रवेश करते हैं वो सारे पिंड बड़ी भयंकरता से चंद्रमा की सतह से टकरा जाते है और अपनी छाप के तौर पर एक गड्ढा बना जाते है. चांद की सतह पर सबसे बड़ा गड्ढे का व्यास 2500 किमी तथा गहराई 8 किमी है.

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