नई दिल्ली। होली,दिवाली, ईद की तरह ही रक्षाबंधन भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता हैं जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। लेकिन ये त्यौहार सभी त्यौहारो से ज़रा हट के है क्योंकि यह त्यौहार भाई और बहनों के पवित्र रिश्ते को प्रतीत करता हैं और सात जन्मों तक बहन की सुरक्षा का वचन देता है। भारत के अलावा भी विश्व भर में जहाँ पर हिन्दू धर्मं के लोग रहते हैं, वहाँ इस पर्व को भाई बहनों के बीच मनाया जाता है. राखी त्यौहार का आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है.
रक्षाबंधन पर्व दो शब्दों के मिल कर बना हुआ है, “रक्षा” और “बंधन“. जिसका अर्थ संस्कृत भाषा के अनुसार “एक ऐसा बंधन जो की रक्षा प्रदान करता हो”. यहाँ पर “रक्षा” का मतलब रक्षा प्रदान करना होता है और “बंधन” का मतलब होता है एक गांठ, एक डोर जो की रक्षा प्रदान करे.
वैसे तो इस पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित है. लेकिन इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित इंद्रदेव से जुड़ी कथा है. पुराण के अनुसार असुरों के राजा बाली के आक्रमण की वजह से देवताओं के राजा इंद्र को काफी नुकसान पहुंचा था. इस नुकसान को देखकर इंद्रदेव की पत्नी सची व्यथित हो गईं और उनसे रहा नहीं गया. वो दुखी मन से भगवान विष्णु के पास गईं ताकि इस समस्या का समाधान मिल सके. भगवान विष्णु ने समस्याओं को सुनकर एक धागा सची को दिया और कहा कि वो इस धागे को अपने पति की कलाई पर बांध दें.
सची ने ठीक वैसा ही किया जैसा भगवान विष्णु ने कहा था. इसके बाद राजा बलि की पराजय हुई. इसी के बाद से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा. कहा जाता है कि युद्ध के लिए जाने से पहले रक्षा के लिए राजा और उनके सैनिकों के हाथों में उनकी पत्नी और बहनें अनिवार्य रूप से राखी बांधा करती थी. ऐसी मान्यता है कि राखी बांधने से भाइयों के उपर आने वाला संकट टल जाता है
भारत सरकार द्वारा रक्षा बंधन के अवसर पर डाक सेवा पर छूट दी जाती है। इस दिन के लिए खास तौर पर 10 रुपये वाले लिफाफे की बिक्री की जाती है। इस 50 ग्राम के लिफाफे में बहनें एक साथ 4-5 राखी भाई को भेज सकती हैं। जबकी आमतौर पर 20 ग्राम के लिफाफे में एक राखी ही भेजी जा सकती है। यह ऑफर डॉक विभाग द्वारा बहनों के लिए भेट है अतः यह सुविधा रक्षाबंधन तक ही उपलब्ध रहती है। और दिल्ली में बस, ट्रेन तथा मेट्रो में राखी के अवसर पर महिलाओं से टिकट भी नहीं लिया जाता है।
इस साल रक्षा बंधन का पर्व 11 अगस्त 2022 गुरुवार को यानी कल के दिन मनाया जाएगा. भद्रा पाताल लोक में होने की वजह से शुभ फलदायी साबित होगी. पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी।
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