What is RBI Deposit Insurance Cover Scheme: क्या है रिजर्व बैंक का डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर जिसमें सरकारी, प्राइवेट, कोऑपरेटिव बैंक डूबने पर ग्राहकों को मिलती है 1 लाख भुगतान की गारंटी

What is RBI Deposit Insurance Cover Scheme, Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation, DICGC Deposit Cover, DICGC Deposit Cover One Lakh: पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक (पीएमसी) पर आए वित्तीय संकट के बाद देशभर के लोग बैंकों में जमा अपने लाखों-करोड़ों रुपयों की सुरक्षा को लेकर डरे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर किसी बैंक में आपका पैसा डूबता है यानी कोई बैंक कंगाल, दिवालिया या बंद होता है तो डिपोजिट इंश्योरेंस एक्ट 1961 के तहत जमा पैसे पर 1 लाख रुपए का इंश्योरेंस कवर दिया जाता है. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) लिक्वीडेटर के माध्यम से यह कवर आरबीआई से संचालित सभी बैंकों के खाताधारकों को देता है.

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What is RBI Deposit Insurance Cover Scheme: क्या है रिजर्व बैंक का डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर जिसमें सरकारी, प्राइवेट, कोऑपरेटिव बैंक डूबने पर ग्राहकों को मिलती है 1 लाख भुगतान की गारंटी

Aanchal Pandey

  • October 18, 2019 1:04 am Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक से खाताधारकों की निकासी सीमा पर रोक लगाने की कार्रवाई के बाद लोग खातों में जमा अपने लाखों-करोड़ों रुपयों की सुरक्षा को लेकर खौफजदा हैं. पीएमसी बैंक में लोगों के 11 हजार 500 करोड़ रुपए जमा हैं.  अभी तक  बैंक के संकट से घबराकर 3 खाताधारकों की जान जा चुकी है. लोगों की हाहाकार के बीच सोशल मीडिया पर एचडीएफसी बैंक की पासबुक पर डिपॉजिट बीमा स्टैंप का एक फोटो भी वायरल हुआ जिसमें आरबीआई के हवाले से कहा गया कि अगर कोई बैंक कंगाल, दिवालिया या बंद होता है उस स्थिति में डिपोजिट इंश्योरेंस कवर के तहत बैंक सिर्फ 1 लाख रुपए की गारंटी दे सकता है. खास बात है कि वायरल फोटो में कही जा रही बात बिल्कुल सच है.

डिपोजिट इंश्योरेंस एक्ट 1961 के तहत आरबीआई से संचालित देश के किसी भी सरकारी, कमर्शियल और कॉपरेटिव बैंक में ग्राहकों का पैसा डूबता है तो उन्हें डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) लिक्वीडेटर के माध्यम से 1 लाख रुपए का डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर देगा. मेघालय, चंडीगढ़, लक्ष्दीप और दादरा-नागर हवेली के कॉपरेटिव बैंक छोड़कर पूरे देश के  बैंकों पर आरबीआई का यह नियम लागू होता है. हालांकि, डीआईसीजीसी के इस कवर में किसी भी प्रकार की कोई कॉपरेटिव समिती नहीं आती हैं.   

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चाहे किसी बैंक में 10 लाख डूबें या 100 करोड़ मिलेगा सिर्फ 1 ही लाख
डिपोजिट इंश्योरेंस कवर के अनुसार, आप किसी भी बैंक में खाताधारक हैं और किसी वजह से बैंक पर कोई वित्तीय संकट आता है और आपका जमा पैसा डूब जाता है तो उसके बदले भरपाई के रूप में आपको तय रकम दी जाती है जो वर्तमान में 1 लाख रुपए है. यानी बैंक में आपके खाते में 5 लाख रुपए जमा हो या 5 करोड़ रुपए मिलेंगे सिर्फ आपको 1 लाख रुपए.

1968 में सीमा 5 हजार जो 1993 में हुई 1 लाख, अब 26 साल से बत्ती गुल
डिपोजिट इंश्योरेंस कवर के रूप में मिलने वाली रकम साल 1968 में 5 हजार रुपए थी जिसे 1970 में बढ़ाकर 10 हजार रुपए कर दिया गया. साल 1976 में सरकार ने कवर की सीमा बढ़ाते हुए 20 हजार रुपए की जो साल 1980 में 30 हजार रुपए हो गई. साल 1993 में रकम में बढ़ोतरी करते हुए इसे 1 लाख रुपए कर दिया गया. जिसके 26 साल बाद यानी आजतक कवर में मिलने वाली रकम को नहीं बढ़ाया गया है.

जमा डूबने पर बैंक में किन खाताधारकों को कैसे मिलेगा 1 लाख का कवर
अगर आपका किसी बैंक में सिंगल अकाउंट है तो आपको डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर का एक लाख रुपया मिलेगा. लेकिन अगर आपके उसी बैंक में 1 से ज्यादा पर्सनल अकाउंट हैं तो भी बैंक आपके सभी खातों को एक ही खाता गिनेगा और आपको 1 लाख रुपए ही मिलेंगे. हां लेकिन अगर अलग-अलग तीन बैंक में आपके तीन अकाउंट हैं तो आपको हर अकाउंट के हिसाब से तीन लाख रुपए मिलेंगे.

वहीं अगर किसी बैंक में आपका एक पर्सनल अकाउंट है, एक आपका अपनी पत्नी या नाबालिग बच्चे के साथ जॉइंट अकाउंट है और एक अकाउंट में आप किसी कंपनी के डायरेक्टर या ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं तो ऐसे में आपको तीनों अकाउंट के लिए अलग-अलग 1 लाख रुपए का कवर मिलेगा.

क्या है भारतीय रिजर्व बैंक के डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर का इतिहास
साल 1948 में बंगाल में बैंकिंग संकट आने पर डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को लेकर पहली बार चर्चा की गई. जिसके बाद साल 1949 में इस मामले पर एक बार फिर विचार किया गया लेकिन किसी वजह से यह रोक दिया गया. साल 1960 में जब पलाई सेंट्रल बैंक और लक्ष्मी बैंक वित्तीय संकट से घिरे तो सरकार और आरबीआई ने लोगों की जमा राशि का इंश्योरेंस करने का फिर विचार किया.

साल 1961 में जवाहर लाल नेहरु की कांग्रेस सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एक्ट बनाया जो 1 जनवरी 1962 से लागू किया गया. इस बीच कवर की तय रकम राशि को बढ़ाया भी गया. लेकिन 1993 में इंश्योरेंस कवर की राशि 1 लाख रुपए करने के बाद फिर इसे नहीं बढ़ाया गया. 18 साल बाद यानी साल 2011 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के दौरान आरबीआई की एक कमेटी ने डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर की रकम 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का सुझाव दिया. हालांकि, बात कुछ ही दिनों में ठंडे बस्ते में चली गई.

नरेंद्र मोदी सरकार बढ़ा सकती है डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर की रकम
डीआईसीजीसी की ओर से दिए जाने वाले 1 लाख रुपए के डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर की सीमा 3 लाख रुपए तक की जा सकती है. सूत्रों की मानें तो निर्मला सीतारमण का वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. हालांकि, इसको लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

हालांकि अगर नरेंद्र मोदी सरकार डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को बढ़ाती है तो इसका भार बैंकों पर भी पड़ेगा क्योंकि वर्तमान में डीआईसीजीसी कवर देने के लिए प्रति 100 रुपए के अनुसार सालाना 10 पैसा चार्ज लेता है. यानी 1 लाख के कवर पर डीआईसीजीसी 100 रुपए प्रति वर्ष के अनुसार चार्ज करता है. ऐसे में अगर इंश्योरेंस कवर की सीमा 3 लाख रुपए हो जाएगी तो जाहिर सी बात है डीआईसीजीसी का चार्ज भी बढ़ेगा जिसका असर बैंकों पर पड़ सकता है.

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