What Is NPR, NPR Kya Hai: देश के कई राज्यों में नागिरकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी को लेकर हिंसा का माहौल है. लोग सड़कों पर बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच नरेंद्र मोदी सरकार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्ट्रेशन (NPR) की ओर आगे कदम बढ़ाती दिख रही है. एनपीआर के तहत घर-घर जाकर देश के सामान्य नागरिकों की जनसांख्यिकीय विवरण और बायोमेट्रिक जानकारी इकट्ठा कर डेटाबेस तैयार किया जाएगा.
नई दिल्ली. What Is National Population Register NPR of India: पूरे देश में इस समय नागरिकता संशोधन कानून CAA को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. कई राज्यों में सीएए और एनआरसी लेकर मचे घमासान के बीच नरेंद्र मोदी सरकार ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी कि NPR की तैयारी शुरू कर दी है. एनपीआर के तहत सभी भारतीय नागरिकों के बायोमेट्रिक और वंशावली का डेटा 2020 में तैयार किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकारी की अगली कैबिनट मीटिंग में एनपीआर को मंजूरी मिल सकती है. एनपीआर प्रक्रिया को पूरा करने में गृह मंत्रालय ने 3,941 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया है.
क्या है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर क्या है?
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) यानी कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर भारत के सामान्य निवासियों का रजिस्टर है. इसमें सामान्य निवासियों की जानकारी इकट्ठी की जाती है. यह देश के नागरिकों की पहचान का आंकड़ा होता है. यह नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र) नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (ग्राम / उप-टाउन), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है. भारत के सभी सामान्य निवासी जो 6 महीने या उससे ज्यादा समय से स्थानीय क्षेत्र में रह रहा है या रहने की योजना है तो उसे एनपीआर में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है.
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के उद्देश्य क्या हैं?
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का मुख्य मकसद भारत के सभी सामान्य निवासियों की पहचान का डेटाबेस तैयार करना है. इकट्ठी की गई जानकारी में नागरिकों के बायोमेट्रिक जानकारी के साथ-साथ अन्य जानकारी शामिल होगी. इसमें कुल 15 कैटेगरी में जानकारी जुटाई जाएगी.
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कौन कौन सी जानकारी दे होगी?
अप्रैल 2020 शुरू होगा सर्वे
जानकारी के मुताबिक देश में अभी 2011 में हुई जनगणना के आंकड़े उपलब्ध हैं. जनगणना के लिए पहले चरण में 1 अप्रैल से लेकर 30 सितंबर 2020 तक केंद्रीय और राज्य के कर्मचारी घर-घर जाकर लोगों से बात करने के बाद जानकारी जुटाएंगे. वहीं दूसरा चरण साल 2021 में 9 फरवरी से 28 फरवरी के बीच पूरा होने की संभावना है. इसके बाद 1 मार्च से लेकर 5 मार्च तक संशोधन प्रक्रिया चलेगी.
NPR की राह नहीं होगा आसान
कई राज्य CAA और NRC का विरोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में ये राज्य एनपीआर का भी विरोध करेंगे और सरकार की राह में मुश्किलें पैदा करेंगे. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पहली ही NPR का विरोध कर चुकी हैं. इसके बाद केरल के सीएम पिनरई विजयन ने भी एनपीआर की विरोध किया है. केरल सरकार का कहना है कि एनपीआर के जरिए एनआरसी को लागू करने का संभावना है.
पहली बार 1951 में हुई थी जनगणना
1947 में देश आजाद होने के बाद साल 1951 में पहली बार देश की जनगणना की गई थी. भारत में हर 10 साल में जनगणना की जाती है और अब तक सात बार जनगणना हो चुकी है. आखिरी बार जनगणना 2011 में हुई थी. जनगणना के दौरान जानकारी इकट्ठा करने, रिकॉर्ड्स को दर्ज करने में तीन साल का समय लगता है. 2021 की जनगणने के लिए देशभर में कर्मचारी लगे हुए हैं.
2010 में यूपीए सरकार ने किया था लागू
एनपीआर की प्रक्रिया 2010 में यूपीए सरकार ने लागू की थी. इसके बाद साल 2015 में एनपीआर के डेटा को अपडेट किया गया था. 2011 में घर-घर जाकर आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और राशन कार्ड आदि दस्तावेज की जानकारी को इकट्ठा किया गया था. इसके बाद 2015 में अन्य जानकारी जैसे- पैन कार्ड, वोटर आईडी, डीएल पासपोर्ट की जानकारी इसमें अपडेट की गई थी.
क्या है एनआरसी (National Register Of Citizen)?
NRC यानी कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के तहत भारत में अवैध तरीके से रह रहे घुसपैठियों की पहचान की जाएगी. फिलहाल एनआरसी असम राज्य में ही हुई है और वहां फाइनल लिस्ट भी आ चुकी है. मोदी सरकार का कहना है कि देश में लागू होने जा रही. एनआरसी प्रक्रिया में सभी धर्मों के लोग शामिल होंगे.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act)?
नागिरकता को लेकर साल 1955 में एक कानून बनाया गया था. इसे नागरिकता अधिनियम 1955 कहा गया है. मोदी सरकार ने नागरिकता को लेकर बने इसी कानून में संशोधन किया है. पुराने नागरिकता कानून के मुताबिक किसी को वैध डाक्यूमेंट की जांच और 11 साल भारत में रहने पर नागरिकता मिल जाती थी.
मोदी सरकार ने क्या किया बदलाव?
मोदी सरकार ने नागिरकता संशोधन कानून (Citizaenship Amendment Act) में बदलाव कर दिया है. इसके मुताबिक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से गैर मुस्लिम शर्णार्थी यानी कि हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को नागिरकता दी जाएगी. बशर्ते इन शर्णार्थियों ने 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश किया हो.
NRC Documents Needed: अगर एनआरसी पूरे देश में लागू होता है तो इन डॉक्यूमेंट्स की पड़ेगी जरूरत