देश-प्रदेश

क्या है नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी? प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जन्मदिन पर किया लॉन्च

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने 73वे जन्मदिवस पर देश को नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति लॉन्च कर उपहार दिया है. इस नीति को लेकर कारोबार जगत को काफी उम्मीद है जिससे कोविड काल से प्रभावित इकोनॉमी को रफ्तार मिलेगी. इस नीति के तहत सप्लाई साइड की समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाएगा. इसके अलावा, माल ढुलाई से ईंधन की खपत को कम करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे.

जानिए नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी को

मालूम हो कि भारत में लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई के लिए सड़क और जल परिवहन से लेकर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें काफी बड़ी लागत लगती है. अब ईंधन लागत को कम करने के लिए इस नई नीति को पेश किया गया है. इससे देशभर में माल ढुलाई का काम तेजी से हो सकेगा. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया है कि देश अपनी GDP का 13 से 14 फीसद भाग लॉजिस्टिक्स पर खर्च कर देता है जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश केवल 8 से 9 फीसदी ही खर्च करते हैं. इस नीति से अब देश के लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को भी मजबूती मिलेगी और साथ ही खर्च भी कम होगा. आइए जानते हैं कैसे.

कैसे काम करता है लॉजिस्टिक सेक्टर ?

दरअसल हर देश में जरूरत की हर चीज़ उपलब्ध होना असंभव है. भारत में भी कई ऐसी चीज़ें हैं जिनका बाहर से आयात किया जाता है. इन चीज़ों में आम नागरिकों के लिए खाने-पीने की चीजों से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, इंडस्ट्री से जुड़े सामान, व्यापारियों के माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, उद्योगों को चलाने के लिए ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें शामिल हैं. इन सभी चीज़ों को एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना होगा है. एक सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जाने के पीछे एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री और नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर पहुंचाता है. इस इंडस्ट्री का नाम लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री है.

क्या है नीति के उद्देश्य ?

लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री का मुख्य काम जरूरी सामानों को एक जगह से दूसरी जगह तय समय सीमा तक पहुंचाना होता है. इन सभी सामानों को विदेश से लाना, उसे अपने पास स्टोर करना और फिर डिलीवरी वाली जगह पर उसे तय समय पर पहुंचाना इस इंडस्ट्री की जिम्मेदारी है. इस बीच इंडस्ट्री पर ईंधन खर्च का बहुत भार पड़ता है. इसके अलावा, सड़कों की अच्छी सेहत, टोल टैक्स और रोड टैक्स के साथ-साथ अन्य कई चीजें भी इस इंडस्ट्री को प्रभावित करती हैं. इन्हीं सब फैक्टर्स को लेकर सरकार विगत तीन वर्षों से काम कर रही है.

भारत का क्या स्थान?

नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी इसी सेक्टर को सुधारने और बेहतर करने का एक प्रयास है. हालांकि कोरोना काल की वजह से इस पॉलिसी में काफी देर हुई लेकिन आज यानी 17 सितंबर के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिवस के मौके पर देश को यह सौगात दे दी. नई नीति में कई तरह के बड़े बदलाव किए जाएंगे. इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और अन्य संस्थाओं का रोल स्पष्ट कर सिंगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स मार्केट बनाया जाएगा.

साथ ही, रोजगार के अवसर पैदा कर छोटे और मंझले उद्यमों को बढ़ावा दिया जाना है. इस नीति के तहत लॉजिस्टिक सेक्टर में लागत को अगले 10 सालों के भीतर 10 प्रतिशत तक लेकर आना है. बता दें, अभी यह लागत कुल 13 से 14 प्रतिशत तक है. बता दें, भारत इस सेकटर में 44 वें स्थान पर है. इसमें जर्मनी पहले स्थान पर है जो ईंधन खर्च सबसे कम करता है. वहीं लॉजिस्टिक्स खर्च के मामले में अमेरिका 14वे और चीन 26वे स्थान पर है.

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Riya Kumari

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