नई दिल्ली: मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली एम्स अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया. वह 72 वर्ष की थी. मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शारदा सिन्हा को पिछले महीने एम्स के कैंसर संस्थान इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल (IRCH) के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. एम्स की ओर से जारी बयान में कहा गया कि लोक गायिका शारदा सिन्हा का रात 9.20 बजे सेप्टीसीमिया के कारण ‘रेफ्रैक्टरी शॉक’ के कारण निधन हो गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शारदा सिन्हा मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थी. मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का रक्त कैंसर है. मल्टीपल मायलोमा अस्थि मज्जा में प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर है. मल्टीपल मायलोमा की जटिलताओं के कारण शारदा सिन्हा को वेंटिलेटर पर रखा गया था. मल्टीपल मायलोमा रोग में श्वेत रक्त कोशिकाएं बुरी तरह प्रभावित होती हैं. चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती उम्र के साथ इस बीमारी का खतरा बढ़ता जाता है.
मल्टीपल मायलोमा के लगभग 60% रोगियों को उपचार के दौरान हड्डियों में दर्द का अनुभव होता है. इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों में अत्यधिक थकान, वजन कम होना, रीढ़ या छाती में दर्द, एनीमिया और भूख न लगना शामिल हैं. कई बार इस रोग से पीड़ित मरीजों को मानसिक उलझन होने लगती है. इस बीमारी में किडनी पर भी असर देखा गया है.
मल्टीपल मायलोमा के प्राथमिक उपचार में कैंसरग्रस्त (cancerous) प्लाज्मा कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए 3 या 4 गैर-कीमोथेरेपी दवाओं का एक साथ उपयोग किया जाता है. इसमें दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामोल और ट्रामाडोल जैसी दवाएं दी जाती हैं. यदि दर्द गंभीर है, तो मॉर्फिन या फेंटेनल पैच जैसी दवाओं का उपयोग किया जा सकता है. रोगी को इबुप्रोफेन या डाइक्लोफेनाक जैसी दर्द निवारक दवाएं लेने से बचना चाहिए क्योंकि ये किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
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