नई दिल्ली: जेन-एक्स और जेन-वाई जैसे शब्दों का इस्तेमाल अक्सर कैजुअल तरीके से किया जाता हैं। लेकिन ये बीस साल के अंतर वाली दो पीढ़ियों के नाम हैं। इसी से मिलते जुलते तीन और नामों को भी बहुत कम लोग ही जानते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक 1920 से 45 के बीच जन्मे लोग वेटरन, 1945 से 60 के बीच जन्मे फ्री-जेन, 1961 से 70 के बीच जन्मे जेन एक्स, 1971 से 80 के बीच वाले ई जेन और 1981 से 90 के बीच जन्मे लोग जेन वाई कहलाते हैं।
चलिए आपने ये तो जान लिया कि किस साल में जन्मे लोग क्या कहलाते है? लकिन अब इन लोगों के बारे में कुछ खास बाते जान लेते हैं. बता दें,
-इनमें आजादी से पहले जन्मे लोग जो वेटरन कहलाते हैं वे अब किसी काम-धंधे में कम ही नजर आते हैं।
-इसके साथ ही आजादी के बाद जन्मी फ्री-जेन का ऊंचे पदों पर बोलबाला है। फ्री-जेन परिश्रमी होने के साथ-साथ अपने विकास और स्वास्थ्य की फिक्र भी करती है।
-वहीं जेन-एक्स के लोग सोशलिज्म से लिबरलाइजेशन के बीच के माने जाते हैं। ऐसे स्वयंभू, आत्मनिर्भर और सरल होते हैं। ये लोग अपने समय के अनुभवों से घबराए हुए होते हैं और नई पीढ़ी के साथ कदम मिलाने की कोशिश करते हैं।
-इसके अलावा ई-जेन को बदलाव के साथ चलना व आगे बढ़ना अच्छा लगता है। ये ऐसी पीढ़ी होती है जिसने एकसाथ कई बदलाव देखे हैं। यह जनरेशन टेक्नो सेवी जेनरेशन परफेक्ट करियर में बिलीव करती है।
-सबसे नई पीढ़ी जेन वाई एग्रेसिव होने में किसी भी तरीके का संकोच नहीं करती। है कि वह लोगों को प्रभावित करने की और सौदेबाजी की ताकत रखती है।
रिपोर्ट्स की मानें तो यही नहीं, इस समय फ्री जेन के 20 फीसदी, जेन एक्स के 25 फीसदी, ई जेन के 29 फीसदी और जेन वाई के 26 फीसदी लोग कामकाज में लगे हैं।
इसके साथ ही, हर जनरेशन का अपना मिजाज, प्राथमिकता व उद्देश्य हैं। अलग माहौल में पैदा होने की वजह से सबकी खुशी और सफलता के पैमाने वाकई अलग-अलग हैं। जेन एक्स आईटी सेक्टर में और जेन वाई के लोग टेक सेवी में बड़ी तादाद में हैं। तो वहीं असल संघर्ष जेन वाई और फ्री जेन के बीच कायम रहता है। हालांकि, टकराव के बावजूद ये सभी एक साथ काम करने में लगे ही हैं.
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