आसान भाषा में समझिए क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे, क्यों है देश के लिए जरूरी ?

नई दिल्ली। निर्मला सीतरमण 1 फरवरी को संसद में बजट पेश करने वाली है। लेकिन इससे पहले आज यानी 31 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाना है। इस सर्वे में वित्त वर्ष 2022-23 में अर्थव्यवस्था के विकास की समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा यह भी पता चलेगा केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं का गरीब जनता को कितना लाभ मिल पाया है।

बता दें, हर साल इकोनॉमिक सर्वे देश के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर तैयार करते है। इस साल वी अनंत नागेश्वपन ने इसे तैयार किया है, रिपोर्ट से देश की आर्थिक स्थिति के बारे में पता किया जाएगा। सर्वे के जरिए देश की विकास गति के अलावा सरकार द्वारा किन सेक्टर्स में कितना निवेश किया गया के अलावा भविष्य में देश के किन क्षेत्रों में अधिक ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, इसकी जानकारी दी जाएगी।

क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे ?

इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है इसको आम जनता की भाषा में समझिए जिस तरह आम आदमी अपने खर्च को लेकर एक डायरी में पूरा हिसाब-किताब रखता है, साल के अंत होने पर जब हम डायरी को देखते है तो पता चलता है कि हमारा घर कैसा चला? हमने कहां खर्च किया ? कितना कमाया? इसके आधार पर ही तय किया जाता है कि आने वाले साल में किस तरह खर्च करना है। ठीक ऐसी ही डॉयरी को इकोनॉमिक सर्वे कहा जाता है जिसमे बीते वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था की क्या हालत रही इसके अलावा आने वाले साल का हिसाब-किताब के बारे में जानकारी दी जाती है।

दो वॉल्यूम में होगा जारी

पहले इकोनमिक सर्वे एक ही वॉल्यूम में जारी किया जाता था लेकिन 2014-15 से इस दो वॉल्यूम में पेश किया जाने लगा जिसमें पहले पार्ट में पिछले वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था ने कैसा परफॉर्म किया इसकी जानकारी होती है, वही दूसरे पार्ट में गरीबी, सामाजिक सुरक्षा, ह्यूमन डेवलपमेंट, हेल्थ केयर और एजुकेशन, जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण और शहरी विकास जैसे मामलों को जारी किया जाता है। हालांकि 2021-22 में 900 पेज का सर्वे हो जाने के कारण इसे प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने दो वॉल्यूम फॉर्मेट से सिंगल वॉल्यूम के साथ ही स्टेटिकल टेबल के लिए एक अलग वॉल्यूम में शिफ्ट कर दिया था।

1950 में आया पहला सर्वे

इकोनॉमिक सर्वे के इतिहास की बात कि जाए तो भारत का पहला सर्वे 1950-51 में केंद्रीय बजट के साथ ही इसे पेश किया गया था। लेकिन 1964 के बाद सर्वे को केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया था।

जीडीपी क्या है ?

जीडीपी इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। जीडीपी किसी भी देश की ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद होताहै। इसमें किसी देश के भीतर एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती है, उन्हें भी शामिल किया जाता है।

6.5 प्रतिशत ग्रोथ रहने का अनुमान

बता दें, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इकोनॉमिक सर्वे में वित वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 6 से 6.8 के बीच रहने का अनुमान जताया है। मौजूदा हालात में सरकार नए वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत की ग्रोथ रेट का अनुमान लगा सकती है। यह पिछले 3 साल में सबसे धीमी ग्रोथ होगी।

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