नई दिल्लीः दिल्ली शराब घोटाला अरविंद केजरीवाल के नेतृतव वाली सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। पहले मनीष सिसोदिया और अब संजय सिंह को आज यानी 4 अक्टूबर को ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में यह जानना जरुरी हो गया है कि आखिर ये शराब घोटाला है […]
नई दिल्लीः दिल्ली शराब घोटाला अरविंद केजरीवाल के नेतृतव वाली सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। पहले मनीष सिसोदिया और अब संजय सिंह को आज यानी 4 अक्टूबर को ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में यह जानना जरुरी हो गया है कि आखिर ये शराब घोटाला है क्या, किसने किया ये घोटाला और कौन- कौन लोग इस घोटाले में आरोपी बनाया गये हैं । आईए जानते है सिलसिलेवार तरीके घोटाले की पूरी कहानी-
दरअसल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने 17 नवंबर 2021 को राज्य में नई शराब नीति लागू की थी। जिसके तहत पूरी दिल्ली में 32 जोन बनाए गये और हर जोन में शराब की अधितकम 27 दुकाने खोलने की अनुमती दी गई।
इस नीति के तहत दिल्ली के सभी शराब की दुकानों को निजी हाथों मे दे दिया गया। इससे पहले दिल्ली में 60 फिसदी दुकान सरकारी और 40 फिसदी प्राइवेट थी। वहीं दिल्ली सरकार सभी दुकानों को प्राइवेट करने के पीछे तर्क दिया की इससे 3500 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व प्राप्त होगा।
इस नई शराब नीति के तहत राज्य सरकार ने लाइसेंस फीस भी कई गुना बढ़ा दी। पहले जिस एल-1 लाइसेंस के लिए 25 लाख रुपये देने पड़ते था, उसके लिए 5 करोड़ रुपये देने पड़े। इसी तरह दूसरी श्रेणियों में भी लाइसेंस फीस के लिए ज्यादा पैसे देने पड़े।
दिल्ली सरकार ने इस नई नीति का मुख्य उद्देश्य कालाबाजारी को रोकना, राजस्व में वृद्धि करना और उपभोक्ता अनुभव में सुधार करना था। इसके तहत शराब की होम डिलीवरी और दुकानों को देर रात 3 बजे तक खुले रहने की भी इजाजत दी गई। इसमें शराब की दुकानवाले असीमित छूट भी दे सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने नई नीति से राजस्व में 27 प्रतिशत के इजाफे के साथ लगभग 8,900 करोड़ रुपये प्राप्त होने की जानकारी दी। हालांकि जल्द ही नई आबकारी नीति सवालों के घेरे में आ गई। दिल्ली के शीर्ष अधिकारियों की एक रिपोर्ट में दिल्ली सरकार पर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के मकसद से नियमों को बदलने का आरोप लगा। राजस्व में वृद्धि की बजाय नुकसान होने लगा.
सबसे पहले दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इस मामले में कथित घोटालों की जांच शुरू की और फिर इसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस मामले में सीबीआई जांच की शिफारिश कर दी।
इसके कुछ ही समय बाद दिल्ली के तत्कालीन आबकारी मंत्री का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति रद्द करने का ऐलान करते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी शराब कारोबारियों को डराने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी का उपयोग कर रही है।
इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली शराब घोटाले की जांच शुरू कर दी। प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया कि “साउथ ग्रुप” नामक एक शराब लॉबी ने इस मामले में गिरफ्तार एक शराब कारोबारी के जरिये AAP को गोवा के चुनाव अभियान के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपये की रिश्वत पहुंचाई थी।
प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता के पूर्व लेखाकार को भी गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने दावा किया कि आबकारी नीति से सरकार को 2,800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
इस मामले की जांच करते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी ने पहले दिल्ली के उप- मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था, वो अभी तक जेल में ही है। आज यानी 4 अक्टूबर को इडी ने शराब घोटाले में पूछताछ करते हुए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को उनके आवास से पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई के बाद सियासत तेज हो गई है.