नई दिल्ली : इन दिनों भारत में बजट पर लोगों की नजरें हैं. आम बजट 2024 मोदी 3.O का पहला बजट है और लोगों को ढेरों उम्मीदें. लेकिन क्या आप जानते हैं बजट क्या होता है और यह कितने प्रकार का होता है? अगर नहीं पता है तो आइए जान लेते हैं. क्या है केन्द्रीय […]
नई दिल्ली : इन दिनों भारत में बजट पर लोगों की नजरें हैं. आम बजट 2024 मोदी 3.O का पहला बजट है और लोगों को ढेरों उम्मीदें. लेकिन क्या आप जानते हैं बजट क्या होता है और यह कितने प्रकार का होता है? अगर नहीं पता है तो आइए जान लेते हैं.
बजट का सीधा सा अर्थ है खर्च और कमाई का पूरा गुणा-गणित या और साधारण भाषा में कहें तो लेखा -जोखा। केंद्र सरकार जो पेश करती है उसको हम यूनियन बजट, आम बजट या केंद्रीय बजट कहते हैं। यह बजट पूरे देश को ध्यान में रख कर बनाया जाता है। हम जैसे अपने घर का बजट बनाते है, उसी तरह सरकारें भी बजट बनाती हैं। बजट में कितनी आमदनी होगी,कितना खर्च होगा और कितनी बचत होगी, यह सब शामिल रहता है।
सरकार और आम आदमी के बजट में थोड़ा सा अंतर रहता हैं। सरकार पूरे देश का बजट बनाती है और आम आदमी को अपने घर का बजट बनाना होता है। बजट को हम अलग-अलग कैटगरी में बांट सकते हैं। जैसे कि अंतिरम बजट और पूर्ण बजट. चुनाव का साल था इसलिए चुनाव पहले अंतरिम बजट पेश किया गया था और अब पूर्ण बजट पेश किया जाएगा. जैसा बजट होता है उसी नजरिये से देखा जाता है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बजट संतुलित है या असंतुलित, सरप्लस बजट या डेफिसिट बजट।
किसी भी वित्त वर्ष में सरकार की आमदनी और खर्च में संतुलन हों तो उसको संतुलित बजट कहा जाता हैं। बहुत से एक्सपर्ट और अर्थशास्त्री सरकार से इसी तरह के बजट की उम्मीद करते हैं। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है की सरकार अपनी आमदनी के हिसाब से ही पैसे खर्च करेगी।
संतुलित बजट से आर्थिक स्थिरता बनी रहती है। सरकार बेवजह खर्च से बचती है। संतुलित बजट के नुकसान की बात करें तो आर्थिक सुस्ती के समय बेअसर साबित होता है। बेरोजगारी जैसी समस्या के समाधान में मदद नहीं मिल पाती। विकासशील देशों में आर्थिक विकास पर असर डालती है, साथ ही कल्याणकारी काम करने में सरकार के हाथ बंध जाते हैं।
जब सरकार का खर्च से ज्यादा उसकी आमदनी होती है तो उसे सरप्लस बजट कहते है। किसी एक वित्त वर्ष में सरकार के पास अधिक रकम बचना यह सरप्लस बजट कहलाता है। इसका अर्थ यह है कि किसी वित्त वर्ष में सरकार जितनी रकम खर्च करेगी ,टैक्स एवं अन्य स्त्रोत से उसकी कमाई अधिक रहती है। इसका अर्थ या भी है की सरकार जनकल्याण के काम पर जितनी रकम खर्च करेगी ,उससे अधिक रकम टैक्स से सरकार जुटा लेगी। इस तरह का बजट महँगाई नियंत्रित करने के लिए बनाया जाता है।
सरकार का अनुमानित खर्च उसकी कमाई से अधिक रहने का बजट पेश किया जाए तो इसे घाटे का बजट कहा जाता है। यह बजट भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए ठीक माना जाता है। मंदी के समय विशेष रूप से सहायक, घाटे का बजट अतिरिक्त माँग उत्पन्न करके और आर्थिक विकास दर को बढ़ावा देने में मदद करता है। यहाँ सरकार रोजगार दर सुधारने के लिए अत्यधिक खर्च करती है। इसके परिणामस्वरूप वस्तुओं और सेवाओं की माँग में वृद्धि होती है जो अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद करती है। सरकार इस राशि को सार्वजनिक उधर (सरकारी बॉन्ड जारी करके ) या अपने संचित आरक्षित अधिशेष से निकालकर खर्च करके पूरा करती है।
डेफिसिट बजट का फायद यह है कि आर्थिक सुस्ती के दौर में रोजगार बढ़ने में मददगार होता। सरकार को जान कल्याण के काम पर खर्च करने का मौका मिलता है। डेफिसिट बजट का नुकसान यह है कि सरकार बेवजह ही चीजों पर खर्च बढ़ा देगी जिससे उधारी लेने की वजह से सरकार पर बोझ बढ़ता है।
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