September 19, 2024
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क्या है 1930? अब तक बचाए 29 हजार करोड़, अमित शाह ने चार नए साइबर प्लैटफॉर्म किए लॉन्च

  • WRITTEN BY: Neha Singh
  • LAST UPDATED : September 11, 2024, 9:35 am IST

नई दिल्ली। वित्तीय धोखाधड़ी के पीड़ितों की मदद के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा 2021 में शुरू की गई हेल्पलाइन 1930 को राज्य पुलिस के साथ एकीकृत किया गया है जिसकी मदद से अब तक 29 हजार करोड़ रुपए और हजारों जिंदगियों को बर्बाद करने से बचाया है।

क्या है 1930?

किसी भी व्यक्ति के साथ ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी होने पर शिकायत करने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल की ओर हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ जारी किया गया। इसके जरिए साइबर धोखाधड़ी का शिकार हुआ व्यक्ति तुरंत इस नंबर पर शिकायत कर उन पैसों को फ्रीज करवा सकता है और कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अपना पैसा वापस पा सकता है।

चार नए प्लैटफॉर्म हुए लॉन्च

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विज्ञान भवन में मंगलवार को भारतीय साइवर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के पहले स्थापना दिवस पर चार साइबर प्लैटफॉर्म लॉन्च किए।

1. साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटरः CFMC एक ऐसी जगह होगी जहां साइबर फ्रॉड रोकने वाली सभी एजेंसियां एक छत के नीचे काम करेंगी। इसमें बड़े बैंकों के प्रतिनिधि, लॉ इनफोर्समेंट एजेंसियां, टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर और केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

2. समन्वय प्लैटफॉर्मः ये एक वेब-आधारित मॉड्यूल है। प्लैटफॉर्म साइबर अपराध में इस्तेमाल होने वाले फर्जी कार्ड, अकाउंट, साइबर क्राइम से बचाव, क्राइम एनालिसिस और इन्वेस्टीगेशन असिस्टेंस के लिए एक वन-स्टॉप पोर्टल के रूप में काम करेगा।

3. साइबर कमांडो प्रोग्रामः इसके तहत देश में साइबर सुरक्षा परिदृश्य के खतरों का मुकाबला करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय पुलिस संगठनों में प्रशिक्षित ‘साइबर कमांडो’ की एक स्पेशल ब्रांच बनाई जाएगी। प्रशिक्षित साइबर कमांडो डिजिटल स्पेस को सुरक्षित करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय एजेंसियों की सहायता करेंगे।

4. सस्पेक्ट रजिस्ट्रीः इस पहल के तहत साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के आधार पर फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट क्षमताओं का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थानों में फर्जी अकाउंट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। संदिग्ध बैंक खातों का डेटाबेस बैंकों और वित्तीय संस्थानों को साझा किया जाएगा। इससे संदिग्ध अकाउंट को ट्रैक करने में आसानी होगी।

 

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