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शहीद अंशुमान के माता-पिता के आरोपों पर क्या बोलीं पत्नी स्मृति सिंह?

लखनऊ: सियाचिन में अपने साथियों को बचाने के दौरान शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह के परिवार को उनके साहस और बहादुरी के लिए राष्ट्रपति ने 5 जुलाई 2024 को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया. कीर्ति चक्र लेने शहीद अंशुमान की पत्नी और उनकी मां गई थी. इसी बीच शहीद के माता-पिता ने अपना दर्द बयां […]

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(Mother and wife of Captain Anshuman Singh)
  • July 12, 2024 8:49 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

लखनऊ: सियाचिन में अपने साथियों को बचाने के दौरान शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह के परिवार को उनके साहस और बहादुरी के लिए राष्ट्रपति ने 5 जुलाई 2024 को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया. कीर्ति चक्र लेने शहीद अंशुमान की पत्नी और उनकी मां गई थी. इसी बीच शहीद के माता-पिता ने अपना दर्द बयां किया है. शहीद की मां ने कहा है कि बहू स्मृति मेरे बेटे का सारा सामान लेकर चली गई है. वहीं अब कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता के आरोपों पर शहीद की पत्नी स्मृति सिंह की प्रतिक्रिया भी आ गई है. आइए जानते हैं स्मृति ने क्या कहा है…

स्मृति बोलीं- जिसकी जैसी सोच, वो वैसी…

कैप्टन अंशुमान के माता-पिता के आरोपों पर स्मृति ने एक निजी समाचार पत्र से बातचीत की है. उन्होंने कहा है कि मुझे अभी कोई जानकारी नहीं है. जिसकी जैसी सोच होती है, वो वैसा ही कहेगा. मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है. बता दें कि अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति पेशे से बैंकर हैं.

शहीद के माता-पिता ने लगाया है ये आरोप

बता दें कि शहीद अंशुमान की मां का कहना है कि उनकी बहू अपने पति के पहले बरसी पर भी नहीं आई थी. उन्होंने कहा कि बेटे की बरसी पर घर में पूजा होती है, जिसमें पत्नी का होना बेहद जरूरी होता है. हमने बहू को फ़ोन किया कि आपको एक दिन के लिए पूजा में आना पड़ेगा. पहले तो उसने कहा कि मम्मी मैं आऊंगी लेकिन बाद में उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया. इतना ही नहीं बेटे का कीर्ति सम्मान लेने जब वो राष्ट्रपति भवन पहुंची उस दौरान भी उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई.

तेरहवीं के अगले दिन घर से चली गई बहू

शहीद अंशुमान सिंह के पिता राम प्रताप सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने बेटे की खुशी के लिए स्मृति से उसकी शादी की थी. दोनों परिवार बेहद खुश थे और बड़े शौक अरमान से ये शादी हुई. शादी के बाद स्मृति अपनी ननद के साथ नोएडा में बीडीएस की पढ़ाई करने लगी. 19 जुलाई को जब उनका बेटा शहीद हुआ तो वो गोरखपुर आईं. हालांकि 13वीं के अगले दिन ही जाने की जिद्द करने लगी. स्मृति के पिता ने पूरी जिंदगी का हवाला दिया तो मैंने कहा अब ये मेरी बेटी है. अगर स्मृति चाहेगी तो हम दोनों मिलकर खुशी खुशी इसकी शादी करेंगे. मैं उसे एक पिता की हैसियत से विदा करूंगा लेकिन स्मृति जब गई तो नोएडा से उनके बेटे का सारा सामान लेकर चली गईं.

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