ममता से लेकर ठाकरे तक, Rahul Gandhi की सदस्यता जाने पर क्या बोले विपक्षी नेता?

नई दिल्ली: राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता रद्द कर दी गई है. गुरुवार को गुजरात के सूरत जिला कोर्ट ने उन्हें चार साल पुराने मोदी सरनेम भाषण मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई. इसी कड़ी में विपक्ष दलों के नेता राहुल गांधी […]

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ममता से लेकर ठाकरे तक, Rahul Gandhi की सदस्यता जाने पर क्या बोले विपक्षी नेता?

Riya Kumari

  • March 24, 2023 4:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता रद्द कर दी गई है. गुरुवार को गुजरात के सूरत जिला कोर्ट ने उन्हें चार साल पुराने मोदी सरनेम भाषण मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई. इसी कड़ी में विपक्ष दलों के नेता राहुल गांधी की सदस्यता जाने पर राजनीति प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जहां बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी के पक्ष में बयान दिया है.

क्या बोले उद्धव ठाकरे?

 

राहुल गांधी की सदयता रद्द होने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी प्रतिक्रिया दी है जहां उन्होंने कहा कि ‘हमारे देश में ‘चोर को चोर’ कहना अपराध है जहां चोर और लुटेरे खुले घूम रहे हैं. इसलिए राहुल गांधी को सजा दे दी गई है. यह सीधे तौर पर लोकतंत्र की हत्या है और इस समय पूरा सरकारी तंत्र दबाव में है. यह तानाशाही के ख़त्म होने की शुरुआत है जहां. अब लड़ाई को सही दिशा देने का समय आ गया है.’

 

क्या बोलीं ममता बनर्जी?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और TMC अध्यक्ष ममता बनर्जी ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने पर तीखी प्रतिक्रया दी है. उन्होंने कहा कि ”पीएम मोदी के न्यू इंडिया में बीजेपी के निशाने पर विपक्षी नेता हैं.” वह आगे कहती हैं कि “‘…जबकि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले बीजेपी नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है, विपक्षी नेताओं को उनके भाषणों के लिए अयोग्य ठहराया जाता है. आज, हमने अपने संवैधानिक लोकतंत्र के लिए एक नया निम्न स्तर देखा है.” ममता बनर्जी के अलावा अभिषेक बनर्जी ने भी इस पूरे मामले पर ट्वीट किया है और अपने ट्वीट में हैशटैग RIP डेमोक्रेसी लिखा है.

कोर्ट जा सकते हैं

भले ही राहुल गांधी की सदस्यता ख़त्म हो गई है लेकिन उनके सामने अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं. अभी भी वह सूरत कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकते हैं. लेकिन इससे उनकी सदस्यता वापस नहीं आ सकती है तब तक जब तक कोर्ट उनकी सजा पर स्टे नहीं लगा देता. बता दें, आठ साल तक वह कोई चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं. आने वाले लोकसभा चुनावों में उनकी सदस्यता छिन जाना पार्टी के लिए यकीनन बड़ी चुनौती होगी.

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