अंडरवाटर ड्रोन क्या हैं? फ्रांस से मिला तोहफा पानी में भी भारत के दुश्मनों को देगा करारा जवाब

नई दिल्ली: भारत और फ्रांस के बीच 30 सितंबर से 1 अक्टूबर तक रणनीतिक बातचीत शुरू होने जा रही है. इस दौरान भारत और फ्रांस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रणनीति पर चर्चा करेंगे. इस बीच फ्रांस और भारत ने nuclear weapons को लेकर सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है. इस दौरान दोनों देशों के बीच […]

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अंडरवाटर ड्रोन क्या हैं? फ्रांस से मिला तोहफा पानी में भी भारत के दुश्मनों को देगा करारा जवाब

Aprajita Anand

  • September 22, 2024 2:13 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: भारत और फ्रांस के बीच 30 सितंबर से 1 अक्टूबर तक रणनीतिक बातचीत शुरू होने जा रही है. इस दौरान भारत और फ्रांस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रणनीति पर चर्चा करेंगे. इस बीच फ्रांस और भारत ने nuclear weapons को लेकर सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है. इस दौरान दोनों देशों के बीच जेट इंजन, परमाणु पनडुब्बी और अंडरवॉटर ड्रोन की तकनीक और निर्माण को लेकर बड़ी डील होगी. ऐसे में आइए जानते हैं कि वो कौन से अंडरवाटर ड्रोन हैं जिनका निर्माण फ्रांस के सहयोग से भारत में किया जाना है.

जानें क्या है अंडरवाटर ड्रोन

नौसेना अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय नौसेना में 75 नई तकनीकें शामिल होने जा रही हैं. इसका उद्देश्य 2030 तक नौसेना को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है. इन्हीं तकनीकों में से एक है अंडरवाटर ड्रोन. इसे unmanned underwater vehicle भी कहा जाता है. अंडरवॉटर यानी जैसा कि नाम से पता चलता है, ये पानी के अंदर काम करते हैं. इनमें किसी भी व्यक्ति के बैठने की जरूरत नहीं है. इन हथियारों की दो श्रेणियां हैं. पहला है रिमोट से चलने वाला अंडरवॉटर व्हीकल और दूसरा है स्वचालित अंडरवॉटर व्हीकल. यानी जो ऑटोमैटिक होते हैं.

कहां काम आता ये ड्रोन

वर्तमान समय में चीन, अमेरिका, फ्रांस, इजराइल जैसे अन्य देश दूर से संचालित अंडरवाटर वाहनों का उपयोग कर रहे हैं. इसे एक ऑपरेटर द्वारा नियंत्रित किया जाता है. इस हथियार का इस्तेमाल समुद्र में निगरानी और गश्त में किया जाता है. जरूरत पड़ने पर आप उनके साथ हमला भी कर सकते हैं. अंडरवॉटर स्वोर्ड ड्रोन का वजन कुछ किलोग्राम से लेकर एक हजार किलोग्राम तक हो सकता है. समुद्र में कई हजार मीटर की गहराई तक जा सकता है.

भारतीय जहाजों की जासूसी

नौसेना का लक्ष्य ऐसे ड्रोनों का बेड़ा तैनात करना है, उसके पास ज्यादा से ज्यादा अंडरवॉटर ड्रोन होंगे जो पानी के अंदर गश्त करेंगे. आपको बता दें कि पड़ोसी देश चीन ड्रोन के मामले में हमसे कई गुना आगे है. चीनी सेना लंबे समय से हिंद महासागर में अंडरवाटर ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है. इसके जरिए चीन हिंद महासागर में भारतीय जहाजों की जासूसी करता है. ऐसे में फ्रांस के साथ डील से भारत को बड़ा रणनीतिक फायदा मिल सकता है.

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