हिट एंड रन में क्या है सजा के नियम…? जानिए इस पर क़ानून की धारा

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में नए साल का आगाज़ वाकई काफी मायूसी भरा हुआ . नए साल के मौके पर दिल्ली में एक के बाद एक दिल देने वाली घटना सामने आई. इस समय जो मामला सबसे ज्यादा गरमाया हुआ है वह है दिल्ली का कंझावला-सुल्तानपुरी कांड। इस मामले को लेकर दिल्ली की जनता ने काफी नाराज़गी जाहिर की है.

 

• हैवानियत की इंतेहा

खबर के मुताबिक, कार सवार 5 युवकों ने पहले लड़की को टक्कर मारी और फिर उसे अपनी गाड़ी से घसीटते हुए 13 किलोमीटर तक घसीटते हुए ले गए. इस मामले में लड़की की मौके पर ही मौत हो गई. ख़बर के मुताबिक, लड़की का शव बिना कपड़ों में मिला था. लड़की की पहचान अंजलि के तौर पर हुई है.

 

• नशे की हालत में थे दरिंदे

दिल दहला देने वाला यह मामला नए साल रात 3 बजे की है. इस मामले में पुलिस महकमे ने तत्परता दिखाते हुए 5 आरोपियों को हिरासत में ले लिया है और वारदात में इस्तेमाल हुई गाड़ी भी बरामद कर ली है.

• कौन सी धारा लगेगी?

ऐसे में सवाल उठता है कि इस तरह के हिट एंड रन के मामले में आरोपियों के खिलाफ क्या एक्शन लिया जाएगा? क्या ये आरोपी बक्शे जाएंगे या फिर क्या इस पर गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज होगा? ऐसे में आइये जानते हैं इस पर एडवोकेट की राय और कुछ सवालों के जवाब…

 

• क्या आरोपी बच सकते हैं?

सबसे पहले आपको बता दें, इस तरह के जुर्म में IPC की धारा 299 और 304ए लागू होती है. बात करें धारा 304ए की तो इसमें लापरवाही से मौत की सजा का मामला बनता है. यह धारा हिट एंड रन मामलों पर सीधे लागू होती है. इसमें 2 साल तक की सजा का कानून है. वहीं धारा – 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है जिसमें उम्रकैद या फिर एक तय वक़्त के लिए जेल की सजा का कायदा है.

 

• अगर ये हादसा हो तब क्या होगा?

अब अगर इस तरह का मामला सिर्फ एक हादसा साबित होता है तो इसमें लापरवाह ड्राइवर पर मुक़दमा बनता है न कि गाड़ी में सफर कर रहे अन्य लोगों पर. इसके बाद अगर ड्राइवर ने हादसे के बाद न ही गाड़ी रोकी और न ही पुलिस को इत्तिला दी और न ही वह हादसे में शिकार हुए जख्मी को अस्पताल ले गया तो इसमें धारा 134 (ए) और धारा 134(बी) लगेगी।

 

• धारा 134 (ए) और धारा 134(बी) क्या है?

IPC की धारा 134 (ए) के तहत अगर हादसा होता है तो लापरवाह ड्राइवर का फ़र्ज़ बनता है कि वो सबसे पहले हादसे का शिकार हुए शख्स को इलाज के लिए ले जाए. वहीं अधिनियम की धारा 134(बी) के तहत जिससे एक्सीडेंट हुआ है वो जल्द से जल्द पुलिस को इस मामले की जानकारी दे.

 

• तो क्या गाड़ी में बैठे बाकी लोग बच जाएंगे?

 

अब दिल्ली में को घटना हुई है उसके सभी आरोपी गाड़ी के अंदर बैठे थे. गाड़ी में मौजूद सभी 5 आरोपी के इरादे इस बात का गवाह है कि किसी ने भी लड़की की जान बचाने की कोशिश नहीं की. भले ही यह एक दुर्घटना हो लेकिन इसके बाद भी सभी मुल्ज़िमों ने भागने का फैसला किया. जख्मी हुई लड़की की जान की परवाह नहीं की.

ऐसे में यह क़दम सभी आरोपियों के मंसूबे को बयां बताता है. इसमें सभी आरोपियों ने अपराध किया और इसके लिए IPC की धारा – 34 साफ तौर पर कहती है कि जब आरोपी का मकसद अपराध को बढ़ाना हो तो ऐसे में सभी आरोपी जुर्म के लिए जिम्मेदार माने जाएंगे।

 

• क्या इन मामलों में जमानत मिलेगी?

अब आपको बता दें, अगर आरोपियों पर सिर्फ IPC की धारा 304ए के तहत मुकदमा चलाया जाता है तो इन मामलों में आरोपियों को आसानी से जमानत मिल जाएगी क्योंकि यह एक जमानती अपराध माना जाता है. वहीं अगर उनपर धारा 304 के तहत भी मुकदमा लगता है, जो कि गैर-इरादतन हत्या पर लगता है तो ऐसे में जमानत मुश्किल है. ऐसे में आरोपियों को साबित करना होगा कि हत्या के पीछे उनका मकसद नहीं था.

 

• एक्सीडेंट पर क्या है सजा के कायदे?

हाँ…अगर दुर्घटना या हादसा साबित हो जाता है तो IPC की धारा 304ए के तहत 2 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों का कानून है.

 

• अगर बग़ैर नशे के हादसा हो तब…

अगर आरोपी ने किसी किस्म का नशा नहीं किया हुआ है और वो अपने होशो-हवास में हो तब उनपर गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज होता है. बहरहाल, इस पूरे वाकये ने इंसानियत को शर्मसार करके रख दिया हैं. लोगों ने इस पर काफी नाराज़गी जाहिर की है और यही नहीं, लोग इसमें हत्यारों की फाँसी की माँग कर कर रहे हैं.

 

 

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