पश्चिम बंगाल. पश्चिम बंगाल में नंदीग्राम सबसे हॅाट सीट है. क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस सीट से अपने पूर्व कैबिनेट सहयोगी और अब भाजपा नेता सुवेन्दु अधकारी के बीच लड़ाई है. नंदीग्राम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पूर्ब मेदिनीपुर जिले के अंतर्गत आता है, जिसे अधकारी परिवार का गढ़ माना जाता है. नंदीग्राम का पश्चिम बंगाल की […]
पश्चिम बंगाल. पश्चिम बंगाल में नंदीग्राम सबसे हॅाट सीट है. क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस सीट से अपने पूर्व कैबिनेट सहयोगी और अब भाजपा नेता सुवेन्दु अधकारी के बीच लड़ाई है. नंदीग्राम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पूर्ब मेदिनीपुर जिले के अंतर्गत आता है, जिसे अधकारी परिवार का गढ़ माना जाता है. नंदीग्राम का पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक विशेष स्थान है. यह वह जगह थी जहां ममता बनर्जी ने 2007 में वामपंथी सरकार के खिलाफ अपना सबसे बड़ा राजनीतिक आंदोलन चलाया था. इस आंदोलन में सुवेन्दु अधकारी उनकी लेफ्टिनेंट थे. सुवेन्दु ने खुद कहा था कि मैंने ही उस आंदोलन को सफल बनाया था. नंदीग्राम आंदोलन पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के उदय की शुरुआत थी. ममता 2011 में सत्ता में आईं.
जबकि वामपंथियों ने भी नंदीग्राम में अपने उम्मीदवार मिनाक्षी मुखर्जी को मैदान में उतारा है, लेकिन मुकाबला ममता और सुवेंदु के बीच होने की उम्मीद है. सुवेन्दु अधकारी नंदीग्राम से मौजूदा विधायक हैं. उन्होंने 2016 में टीएमसी टिकट पर यह विधानसभा सीट जीती थी. उस चुनाव में अधकारी ने भाकपा के अब्दुल कबीर सेख को 80,000 से अधिक मतों से हराया. अधिकारी ने 67.20 फीसदी वोट हासिल किए, जबकि वाम नेता को सिर्फ 26.70 फीसदी वोट मिले. अधिकारी से पहले, यह सीट फिरोजा बीबी ने जीती थी, जो 2009 के उपचुनाव में भी विजयी हुई थी. 2011 में, बीबी ने भाकपा के परमानंद भारती को 40,000 से अधिक मतों से हराया था.
नंदीग्राम विधानसभा सीट तमलुक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जो वर्तमान में सुवेंदु अधारी के छोटे भाई दिब्येंदु अधिकारी के पास है. ममता और सुवेंदु के लिए नंदीग्राम सबसे बड़ी प्रतिष्ठा की लड़ाई है. दोनों नेता सीट जीतने के लिए आश्वस्त हैं. सुवेंदु पहले टीएमसी के साथ थे लेकिन चुनाव से कुछ महीने पहले ही उन्होंने पार्टी छोड़ दी. वह पिछले साल दिसंबर में भाजपा में शामिल हो गए थे. सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती शुरू हो गई है.