नई दिल्ली। देश के पश्चिमी हिस्से में एक बार फिर से मानसून मेहरबान होने वाला है। मौसम विभाग के मुताबिक कई सिस्टम सक्रिय हैं और उनके असर से दक्षिणपूर्वी राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात के सौराष्ट्र और महाराष्ट्र के कोंकण, कच्छ और गोवा में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश का अनुमान […]
नई दिल्ली। देश के पश्चिमी हिस्से में एक बार फिर से मानसून मेहरबान होने वाला है। मौसम विभाग के मुताबिक कई सिस्टम सक्रिय हैं और उनके असर से दक्षिणपूर्वी राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात के सौराष्ट्र और महाराष्ट्र के कोंकण, कच्छ और गोवा में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश का अनुमान लगाया है। वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत पूर्वोत्तर में बारिश की गतिविधियां कम होंगी।
बता दें कि मौसम विभाग आईएमडी के मुताबिक 12 से 15 अगस्त के बीच पूर्वी और पश्चिम मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में भारी बारिश की संभावना है। इसके अलावा मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ व कोंकण, छत्तीसगढ़, गुजरात के कुछ इलाकों में भारी बारिश के आसार है। 15 अगस्त को पश्चिमी मध्य प्रदेश में तथा 14 और 15 अगस्त को पूर्वी मध्य प्रदेश में बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
गौरतलब है कि मौसम विभाग की तरफ से अगले तीन दिनों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। उनके अनुसार आज कल में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में कहीं-कहीं भारी तो कहीं पर छुटपुट बारिश हो सकती है।
अरुणाचल प्रदेश में आज और कल तथा अगले तीन दिनों में असम और नगालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
वहीं, कर्नाटक व तटीय आंध्र प्रदेश में भी छुटपुट या कहीं तेज बारिश की संभावना है।
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के कुछ इलाकों और हिमालयी राज्यों में कुछ जगह भारी बारिश होनो का अनुमान लगाया गया है।
हिमाचल प्रदेश, पश्चिम राजस्थान और उत्तराखंड में 15 अगस्त तक, हरियाणा और पंजाब तथा जम्मू कश्मीर में आजकल में कहीं कहीं भारी बारिश होने की संभावना जताई जा रही है।
निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक मध्यप्रदेश के मध्य भागों पर निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है।
सौराष्ट्र और उससे सटे उत्तर-पूर्व अरब सागर पर एक गहरा कम दबाव बना हुआ है। यह पश्चिम दिशा में बढ़ेगा।
मानसून की द्रोणिका सौराष्ट्र से पूर्वोत्तर अरब सागर पर बने हुए गहरे निम्न दबाव के क्षेत्र के केंद्र से अहमदाबाद, इंदौर से होते हुए जबलपुर, रांची, बांकुड़ा, पेंड्रा रोड और फिर पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी तक जा रही है।
पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों और आसपास के क्षेत्र में एक चक्रवाती का क्षेत्र बना हुआ है।
गुजरात तट से उत्तरी केरल तट तक द्रोणिका बनी हुई है।
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