नई दिल्ली: दक्षिण पश्चिम मानसून में जारी भारी बरसात और भूस्खलन से पहाड़ों से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक में कहर है। जम्मू में भारी बरसात के चलते हुए भूस्खलन से एक मकान के चपेट में आने से 8 लोगों की मौत हो चुकी है। पहाड़ों पर चल रही बरसात से राजधानी दिल्ली में यमुना एक बार फिर खतरे के निशान को पार कर चुकी है। हिमाचल प्रदेश से लेकर उत्तराखंड, महाराष्ट्र, पश्चिमी यूपी, कोकण और गुजरात तक में भारी और झमाझम बरसात से तबाही मची हुई है। हिमाचल-उत्तराखंड में तकरीबन 1,000 सड़कें बंद हैं।
जम्मू के कठुआ में बनी तहसील में भूस्खलन से एक हादसा हुआ है। बताया जा रहा है कि मरने वाले सभी सातों लोग एक ही परिवार के हैं। कल बुधवार की सुबह भूस्खलन हुआ तब लोग काफी गहरी नींद में थे। रामबन और बनिहाल के बीच कई इलाकों में भूस्खलन और पहाड़ों से पत्थर गिरने की वजह से जम्मू -श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग 6 घंटे से ज्यादा बंद रहा। वहीं दूसरी तरफ, हीरानगर इलाके में दयालाचक और चड़वाल के बीच तरनाह नाले पर बने पुल में दरार आने की वजह से जम्मू-पठानकोट हाईवे को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया गया है।
राज्य में कल बुधवार (19 जुलाई) को झमाझम बारिश होती रही। इससे जगह-जगह पहाड़ टूट गए और मलबा सड़कों पर गिर गया है। इसी कारण 735 सड़कें बंद हो चुकी हैं और 224 जलापूर्ति की योजनाएं भी ठप हो चुकी हैं। शिमला के ठियोग के नजदीक नेशनल हाइवे बंद है। बिजली के ट्रांसफॉर्मर पानी में डूबने और खंभे गिरने से कई इलाके अंधेरे में डूबे हैं। ब्यास नदी का पानी उफान पर ही है। जानकारी के मुताबिक शिमला-कालका के बीच चलने वाली रेल सेवा 6 अगस्त तक बंद है। साथ ही उत्तराखंड में भी 286 सड़कें बंद हैं।
राज्य में बरसात और बाढ़ की वजह से चार और लोगों की मौत हो चुकी है। कल बुधवार की सुबह पटियाला रागोमाजरा इलाके में झमाझम बारिश की वजह से एक मकान की छत गिर गई। इससे 2 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि परिवार के 3 लोग जख्मी हैं।
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