बदलते मौसम का कहर: अब निचली ऊंचाईयों पर फट रहे हैं बादल, खतरे की नई चेतावनी!

हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने एक बार फिर से तबाही मचा दी है। बीती रात बादलों के फटने से कई इलाकों में

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बदलते मौसम का कहर: अब निचली ऊंचाईयों पर फट रहे हैं बादल, खतरे की नई चेतावनी!

Anjali Singh

  • August 1, 2024 6:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

Cloud Burst: हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने एक बार फिर से तबाही मचा दी है। बीती रात बादलों के फटने से कई इलाकों में हालात बदतर हो गए हैं। उत्तराखंड से लेकर जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्यों में भी बादल फटने का नया ट्रेंड देखने को मिला है।

निचली ऊंचाई पर बादल फटने का खतरा

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, पहले मानसून के दौरान पांच से छह हजार फीट की ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटते थे। लेकिन अब यह ऊंचाई घटकर तीन से चार हजार फीट पर आ गई है, जो बेहद चिंता का विषय है। नमी और हवाओं में दबाव की भिन्नता के चलते क्लाउड बर्स्ट की ऊंचाई घट गई है।

हिमाचल प्रदेश में बढ़ती चिंता

मौसम वैज्ञानिक डॉ. के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाएं राज्य के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। पिछले साल भी इसी तरह की घटनाओं ने हिमाचल में तबाही मचाई थी। इस बार भी वही पैटर्न देखने को मिल रहा है, जिससे राज्य को फिर से खतरा हो सकता है।

क्लाइमेट चेंज का प्रभाव

डॉ. कहते हैं कि बदलते मौसम और क्लाइमेट चेंज के चलते बादल फटने की ऊंचाई कम हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में बारिश और क्लाउड बर्स्ट का पैटर्न बदल गया है। अब तीन से चार हजार फीट की ऊंचाई पर भी बादल फट रहे हैं, जो पहले नहीं होता था।

वैज्ञानिकों की चेतावनी

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो निचली ऊंचाई पर रहने वाले लोगों के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्यों में क्लाउड बर्स्ट की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे इन इलाकों में तबाही मच रही है। पिछले साल हिमाचल के कांगड़ा में हुई घटना इसका जीता जागता उदाहरण है।

समाधान और बचाव के उपाय

वैज्ञानिकों का मानना है कि लोगों को इसके प्रति जागरूक करना और समय पर चेतावनी देना जरूरी है। इसके साथ ही, सरकार को ऐसे इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए सुरक्षा के उपाय करने चाहिए ताकि उन्हें इस प्राकृतिक आपदा से बचाया जा सके।

 

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