नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में विपक्षी सांसद मणिपुर हिंसा को लेकर एकजुटता दिखाने के साथ-साथ जमकर विरोध कर रहे हैं. हंगामे की वजह से कई दिनों तक संसद की कार्यवाही भी प्रभावित रही. बुधवार को विपक्षी एकजुटान वाले महागठबंधन ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. इस कारण आम आदमी […]
नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में विपक्षी सांसद मणिपुर हिंसा को लेकर एकजुटता दिखाने के साथ-साथ जमकर विरोध कर रहे हैं. हंगामे की वजह से कई दिनों तक संसद की कार्यवाही भी प्रभावित रही. बुधवार को विपक्षी एकजुटान वाले महागठबंधन ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. इस कारण आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपने राज्यसभा सदस्यों को 27 जुलाई से लेकर 28 जुलाई तक संसद में ही रहने की हिदायत दी है. इसी बीच विपक्षी नेताओं ने बड़ा ऐलान किया है.
दरअसल विपक्षी सांसदों ने सदन में काले कपड़े पहनकर आने की बात कही है. ये काले कपड़े पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में चल रही हिंसा के विरोध में पहने जाएंगे. गौरतलब है कि ढाई महीनों से अधिक समय से मणिपुर में हिंसा जारी है जिसे ना तो राज्य सरकार रोक पाई है और ना ही केंद्र सरकार. वहीं बीते दिन मणिपुर से दो महिलाओं को नग्न कर परेड कराने का वीडियो भी सामने आया था जिसके बाद से पूर्वोत्तर राज्य में जारी बवाल को लेकर जनता में भी आक्रोश दिखाई दे रहा है. वहीं लोकसभा में पेश किए गए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया है. हालांकि अध्यक्ष ओम बिरला सभी दलों से बातचीत करने के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारिख तय करेंगे.
गौरतलब है कि इस समय संसद का भी मानसून सत्र जारी है. इस सत्र के दौरान मणिपुर मामले को लेकर लगातार हंगामा देखा जा रहा है. विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष तक इस मुद्दे पर चर्चा की बात कह चुके हैं लेकिन अब तक मणिपुर मुद्दे को लेकर सदन में चर्चा नहीं हो पाई है. वहीं विपक्ष महागठबंधन INDIA की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. इस प्रस्ताव को लाने के पीछे मणिपुर माले को लेकर विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जवाबदेही चाहता है. दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से साफ़ कर दिया गया है कि वह सदन में किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष मणिपुर जैसे मामले को लेकर ज़्यादा गंभीर नहीं है और राजनीति कर रहा है. ऐसे में संसद के मानसून सत्र का अधिकांश समय आरोपों प्रत्यारोपों और हंगामे की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है.