राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम 'भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' के पहले दिन सरसंघचालक मोहन भागवत बीजेपी को कांग्रेस मुक्त भारत नारे पर नसीहत देते नजर आए. मोहन भागवत ने कहा कि हम युक्त वाले हैं, मुक्त वाले नहीं. संघ सभी को जोड़कर रखता है. इसके अलावा उन्होंने आजादी के आंदोलन में कांग्रेस की भूमिका की तारीफ की.
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेव संघ के ‘भविष्य का भारत’ कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत बीजेपी की लाइन ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ से अलग बोलते नजर आए. सोमवार को तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने कहा, ‘हम लोग तो सर्वलोक-युक्त वाले हैं, मुक्त वाले नहीं.’ मोहन भागवत ने कहा कि जो हमारा विरोध करते हैं, वो भी हमारे हैं, पराये नहीं. संघ केवल इसकी चिंता करता है कि उनके विरोध से कोई क्षति ना हो. हम सर्वयुक्त वाले हैं इसीलिए सभी को जोड़ने के लिए विरोधियों को भी बुलाने का प्रयास रहता है.
भागवत ने कहा कम संघ शोषण और स्वार्थ रहित समाज चाहता है. एक ऐसा समाज चाहता है जिसमें सभी समान हों. युवकों के चरित्र निर्माण से समाज का आचरण बदलेगा. व्यक्यि और व्यवस्था दोनों में बदलाव जरूरी है. इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस की भी जमकर तारीफ की. आजादी की लड़ाई में कांग्रेस की भूमिका की तारीफ करते हुए भागवत ने कहा कि कांग्रेस की बदौलत ही देश में स्वतंत्रता के लिए व्यापक आंदोलन खड़ा हुआ. उन्होंने कहा कि उस वक्त कांग्रेस से जुड़कर देश की आजादी में योगदान देने वाले त्यागी महापुरुषों की प्रेरणा आज भी लोगों को प्रेरित करती है.
मोहन भागवत संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ में बोल रहे थे. यहां उन्होंने संघ के बारे में फैली भ्रांतियों से पर्दा उठाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि नागपुर से कोई सरकार कंट्रोल नहीं होती. संघ का काम लोगों में अनुशासन की भावना पैदा करना है. संघ में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता. हम देश के लोगों को जोड़ने का काम करते हैं, तोड़ने का नहीं.
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोहन भागवत की ये बातें काफी मायने रखती हैं. यहां उन्होंने उन बातों के बारे में खुलकर बताया जिनपर अकसर सवाल उठाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि आजादी के बाद देश में योजनाएं नहीं बनीं. काफी योजनाएं बनी हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति में आरोप लगते रहते हैं मैं उनकी चर्चा नहीं करुंगा. देश का जीवन जैसे-जैसे बढ़ेगा राजनीति तो होगी ही.
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