नई दिल्लीः हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के हाटी समुदाय के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी हैं। वजह है वर्षो पुराना बिल राज्यसभा से पास होना। दरअसल हिमाचल के हाटी समुदाय का पांच दशक से चली आ रही शांतिपूर्ण संघर्ष आखिरकार रंग लाया। बिल लोकसभा से पिछले वर्ष 16 दिसंबर को पास हो गया […]
नई दिल्लीः हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के हाटी समुदाय के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी हैं। वजह है वर्षो पुराना बिल राज्यसभा से पास होना। दरअसल हिमाचल के हाटी समुदाय का पांच दशक से चली आ रही शांतिपूर्ण संघर्ष आखिरकार रंग लाया। बिल लोकसभा से पिछले वर्ष 16 दिसंबर को पास हो गया था। अब राज्यसभा से भी पास हो चुका हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर करते ही हिमाचल के सिरमौर जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों के 154 पंचायतों के दो लाख लोगों को उनका जनजातीय सांविधानिक अधिकार मिल जाएगा। 14 सितंबर 2022 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने को मंजूरी प्रदान की थी।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने बिल पेश किया
केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने राज्यसभा में बिल पेश किया। लगभग दो घंटे चर्चा के बाद शाम 4 बजे बिल राज्यसभा से पास हो गया। बिल पास होते ही सिरमौर जिले के हाटी समुदाय के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी हैं। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, सांसद सुरेश कश्यप, पूर्व विधायक बलदेव तोमर, विधायक रीना कश्यप और पूर्व मंत्री सुखराम चौधरी के प्रयासों से इस मामले में एथनोग्राफिक रिपोर्ट शोध संस्थान के गठन के बाद केंद्र को भेजी थी। भाजपा सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र में हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का वादा किया था।
ये है बिल का समयसारणी
वर्ष 2021 में हिमाचल के र्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हाटी समुदाय की एथनोग्राफिक रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी
13 अप्रैल 2022 को समुदाय को जनजाति घोषित किया गया
14 सितंबर 2022 को केंद्रीय सरकार ने समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की मंजूरी दी
9 दिसंबर को 2022 को केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने बिल लोकसभा में पेश किया, 16 दिसंबर को पास हुआ
26 जुलाई 2023 को बिल राज्यसभा से पास हो गया।