नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की अगुआई में की जा रही भारत जोड़ो यात्रा दक्षिण के पांच राज्यों से होते हुए महाराष्ट्र पहुंच गई है। तेलंगाना का सफर पूरा करने से पहले मुनुगोडे सीट पर हुए उपचुनाव में मिली हार कांग्रेस के लिए गुजरात में सबक है। साथ ही कांग्रेस के भीतर से ही उठते हुए विरोधी स्वर को भी शांत करने के लिए उनकी सलाह सुनना अनिवार्य हो गया है।
2017 विधानसभा चुनाव में तेलंगाना में 19 सीट जीतकर कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी थी। बाद मे 14 विधायकों के पाला पाला बदलने के बाद पार्टी मे कुल पांच विधायक ही शेष रह गए हैं। जबकी एआईएमआईएम जैसी क्षेत्रीय स्तर की पार्टी के पास भी सात विधायक तेलंगाना में मौजूद हैं। चिंता की बात यह है कि, मुनुगोडे मे हुए चुनाव में भले ही जीत टीआरएस की हुई है, लेकिन भाजपा यहाँ दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है। कांग्रेस का गढ़ रहे मुनुगोडे में भी कांग्रेस की हालत बद से बदतर होती जा रही है। इन हालातों के चलते अब शायद पार्टी के भीतर से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बावजूद अपने ही गढ़ में कांग्रेस का पिछड़ना एक अशुभ संकेत है और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर सवालिया निशान भी है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि मुनुगोडे सीट पर मिली शिकस्त हमें आईना दिखाने के लिए काफी है किष पार्टी लगातार कह रही कि यात्रा से कार्यकर्ताओ में एक नई उर्जा एवं उत्साह का समावेश होगा, परन्तु चुनावी परिणाम किसी और ओर इशारा कर रहे हैं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि, यात्रा गलत है। परन्तु यात्रा के साथ-साथ हिमाचल एवं गुजरात प्रदेश के विधानसभा चुनावों पर भी ध्यान देना अनिवार्य है। पार्टी को स्थानीय नेताओं के हाथों छोड़ना कदापि उचित नहीं है।
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