नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को लेकर संसद में राजनीतिक तापमान बढ़ चुका है। गुरुवार दोपहर 1 बजे केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और भाजपा अध्यक्ष इस विधेयक पर राज्यसभा को संबोधित करेंगे। निचले सदन में 12 घंटे तक बहस हुई, जिसके बाद विधेयक को 288 मतों के पक्ष में तथा 232 मतों के विपक्ष में पारित कर दिया गया।
लोकसभा में पास होने के बाद यह बिल अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा। भाजपा सांसद संजय जायसवाल का कहना है कि विपक्ष धार्मिक आधार पर विभाजन करने की कोशिश कर रहा है। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सरकार मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर रही।
कांग्रेस सांसद और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्य इमरान मसूद ने इसे “अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला” बताया और कहा कि यह “इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज होगा।” विपक्षी दलों ने इसे असंवैधानिक बताते हुए विरोध प्रदर्शन और कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
भाजपा सांसद दामोदर अग्रवाल ने कहा कि यह बिल वक्फ बोर्डों की पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए लाया गया है। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने भी विधेयक के फायदे गिनाए और विपक्ष पर “गलत सूचना फैलाने” का आरोप लगाया। लोकसभा में चर्चा के दौरान कई विपक्षी दलों ने बिल में संशोधन की मांग की, लेकिन उन्हें खारिज कर दिया गया। आधी रात तक चली कार्यवाही के बाद अध्यक्ष ओम बिरला ने मतदान के नतीजों की घोषणा की।
यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन कर वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रशासन और प्रबंधन पर केंद्रित है। इसके जरिए वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली सुधारने, पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाने और डिजिटल तकनीक के उपयोग को बढ़ाने का प्रयास किया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्यसभा में यह विधेयक कैसा समर्थन पाता है और क्या यह बिना किसी बदलाव के पारित हो पाता है या नहीं।
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