यूपी की राजधानी लखनऊ में पुलिस की गोली का शिकार हुए एप्पल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. प्रशासन द्वारा आरोपी पुलिसवालों पर कार्रवाई की बात कही जा रही है. यूपी डीजीपी ओपी सिंह और यूपी के cm योगी आदित्यनाथ ने भी इसे एनकाउंटर मानने से इंकार कर हत्या का मामला बताया है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सुर्खियों में चल रहे पुलिस की गोली का शिकार हुए एप्पल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी का अंतिम संस्कार कर विधि पूर्ण तरीके से कर दिया गया है. प्रशासन द्वारा आरोपी पुलिसवालों पर कार्रवाई की बात कही जा रही है. यूपी डीजीपी ओपी सिंह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसे एनकाउंटर मानने से इंकार कर हत्या का मामला बताया है.
लेकिन इस घटना की एकमात्र चश्मदीद गवाह सना के हवाले से जो एफआईआर गोमतीनगर थाने में लिखाई गई है उसमें आरोपी पुलिसमकर्मियों का नाम तक नहीं है. इस मामले में गोली चलाने के मुख्य आरोपी के तौर पर प्रशांत चौधरी का नाम सामने आ रहा है. लेकिन थाने में जो एफआईआर दर्ज की गई है उसमें सिपाही का नाम नहीं है. इसके अलावा एफआईआर में सिर्फ गोली चलने की बात कही गई है.डीजीपी ने भी बयान में कहा था कि गोली चली थी. लेकिन गोली कहां से चली, किसने चलाई इसके बारे में एफआईआर में एक शब्द तक नहीं लिखा गया है. वहीं
सना के हवाले से लिखी गई एफआईआर में कहा गया है कि, ‘मैं अपने सहकर्मी विवेक तिवारी के साथ घर जा रही थी. सीएमएस गोमती नगर विस्तार के पास हमारी गाड़ी खड़ी हुई थी तब तक सामने से दो पुलिस वाले आये, हमने उनसे बचकर निकलने की कोशिश की तो उन्होंने हमें रोका. इसके बाद अचानक से मुझे ऐसा लगा जैसे कि गोली चली, हमने वहां से गाड़ी आगे बढ़ाई आगे हमारी गाड़ी अंडर पास दीवार से टकराई और विवेक के सिर से काफी खून बहने लगा. मैंने सबसे सहायता लेने की कोशिश की, थोड़ी देर में पुलिस आई जिसने हमें हॉस्पीटल पहुंचाया. अभी सूचना मिली है कि विवेक सर की मृत्यु हो चुकी है.’
वहीं सना ने पत्रकारों के सामने जो बयान दिया है उसमें वह स्पष्ट तौर पर कहती दिख रही हैं कि एक पुलिसवाला मेरी तरफ खड़ा होकर गाड़ी में डंडा घुसाने की कोशिश कर रहा था. दूसरा थोड़ी सी दूरी पर खड़ा था. उसने गोली चलाई और विवेक तिवारी से मुंह के नीचे से खून बेहने लगा. गोली लगने के बाद भी विवेक तिवारी ने कार चला दी लेकिन थोड़ी दूर जाकर ही वे लुढ़क गए. इसके बाद मैंने कार से बाहर निकलकर वहां खड़े ट्रक वालों से फोन मांगा और उनकी सहायता मांगी. इसके बाद पुलिस आई और विवेक तिवारी को अस्पताल लेकर गई. बाद में मुझे पता चला कि विवेक की मृत्यु हो चुकी है. ऐसे में विवेक हत्याकांड की चश्मदीद के मीडिया के सामने दिए बयान और FIR से साफ हो रहा है कि पुलिस ने आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने का खेल एफआईआर से ही शुरू कर दिया है.