इंफालः मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला भीड़ के द्वारा सुरक्षाबलों की बसों में आग लगाने का हैं। इंफाल से कुछ दूरी पर स्थिति कंगपोकपी जिले में भीड़ ने खड़ी सुरक्षाबलों की बसों को आग के हवाले कर दिया। हालांकि किसी के हताहत होने की खबर नही हैं। अब […]
इंफालः मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला भीड़ के द्वारा सुरक्षाबलों की बसों में आग लगाने का हैं। इंफाल से कुछ दूरी पर स्थिति कंगपोकपी जिले में भीड़ ने खड़ी सुरक्षाबलों की बसों को आग के हवाले कर दिया। हालांकि किसी के हताहत होने की खबर नही हैं। अब स्थिति ये है की सरकार को जैसी ही लगता है कि माहौल अब शांत हो गया हैं वैसे ही कोई न कोई घटना सामने आ जाती है। अधिकारियों का कहना है कि घटना उस वक्त की है जब बसें शाम को दीमापुर से आ रही थी। हिंसा में शामिल लोगों ने बस को सपरोमीना में रोक दिया था।
मई से हो रही है हिंसा
मेइती समाज लगातार अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है लेकिन कुकी समुदाय इस मांग का विरोध कर रहा है। कुकी समुदाय के संगठन आदिवासी एकजुटता मार्च ने मांग का विरोध करते हुए एक बैठक बुलाई इसके बाद दोनों पक्षो में झ़ड़प के बाद हिंसा की शुरुआत हो गई थी। हिंसा में अबतक 160 लोगों की जान जा चुकी हैं। हालांकि स्थिति अभी पहले से बेहतर हुई है।
हिंसा कि शुरुआत कैसे हुई
मेइती समाज के द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर तीन मई को कुकी समुदाय के संगठन आदिवासी एकजुटता मार्च ने मांग का विरोध करते हुए एक बैठक बुलाई इसके बाद दोनों पक्षो में झ़ड़प के बाद हिंसा शुरु हो गई थी। हिंसा की शुरुआत राजधानी इम्फाल से करीब 63 किलोमीटर दूर चुराचंदपुर जिले से हुई। चुराचंदपुर में कुकी समुदाय के लोग ज्यादा हैं। कुकी समुदाय ने गवर्नमेंट लैंड सर्वे के विरोध में 28 अप्रैल को द इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने चुराचंदपुर में आठ घंटे बंद का ऐलान किया था। इसके बाद बंद ने हिंसक रुप ले लिया था। वहीं 27-28 अप्रैल की हिंसा में पुलिस और कुकी आदिवासी आमने-सामने थे।