नई दिल्ली। आपने कई गांव के बारे में सुना होगा जहां अजीबो गरीब समस्याएं हैं। ऐसा ही एक गांव है जहां अविवाहित पुरुषों की किल्लत है। इस गांव का नाम है नोइवा और यह ब्राजील में है। 600 महिलाओं वाले इस गांव में शादी के लिए लड़कियों की तलाश अधूरी रह जाती है। यहां के […]
नई दिल्ली। आपने कई गांव के बारे में सुना होगा जहां अजीबो गरीब समस्याएं हैं। ऐसा ही एक गांव है जहां अविवाहित पुरुषों की किल्लत है। इस गांव का नाम है नोइवा और यह ब्राजील में है। 600 महिलाओं वाले इस गांव में शादी के लिए लड़कियों की तलाश अधूरी रह जाती है। यहां के पुरुष काम के लिए शहरों में रह रहे हैं जबकि पूरे कस्बे की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर है।
कस्बे की 600 महिलाओं में से ज्यादातर की उम्र 20 से 35 साल के बीच है। यहां रहने वाली नीलमा फर्नांडिस के मुताबिक कस्बे में शादीशुदा पुरुष या कुछ रिश्तेदार हैं। इनमें से ज्यादातर रिश्ते में भाई हैं। कस्बे में रहने वाली लड़कियों का कहना है कि वे सभी प्यार और शादी का सपना देखती हैं लेकिन इस कस्बे को छोड़कर नहीं जाना चाहती। वे शादी के बाद भी यहीं रहना चाहती हैं। वे चाहती हैं कि शादी के बाद लड़का उनके कस्बे में आए और यहीं रहे।
कस्बे में रहने वाली कुछ महिलाएं शादीशुदा हैं लेकिन उनके पति और 18 साल से बड़े बेटे काम के लिए कस्बे से दूर शहर में रहते हैं। इसलिए यहां खेती-किसानी से लेकर दूसरे कामों तक का सारा काम महिलाएं ही संभालती हैं। सामान खरीदने से लेकर तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित करने तक, सभी काम महिलाएं मिलकर करती हैं। यह शहर अपनी मजबूत महिला समुदाय के लिए जाना जाता है। इसकी स्थापना मारिया सेन्होरिन्हा डी लीमा ने की थी, जिन्हें 1891 में कुछ कारणों से उनके चर्च और घर से निकाल दिया गया था।
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