Vikas Dubey Encounter: बिकरू एनकाउंटर की घटना के 8 दिन के भीतर पांच एनकाउंटर किए गए. प्रभात का एनकाउंटर ये कहकर किया गया कि गाड़ी का टायर पंचर हुआ और प्रभात ने भागने की कोशिश की और इसी दौरान मारा गया. कमाल की बात ये है कि 5 में से तीन एनकाउंटर में पुलिस का यही कहना है कि अपराधी उनकी पिस्तौल छीनकर भाग रहे थे. पिस्तौल ना हुआ बच्चे के हाथ लगा बर्फ का गोला हो गया कि कोई भी छीनकर भाग जा रहा है.
कानपुर: विकास दुबे का एनकाउंटर अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है. कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब यूपी पुलिस के पास है ही नहीं. आला अधिकारी रटा-रटाया सा जवाब दे रहे हैं लेकिन किन हालातों में एनकाउंटर हुआ उस बारे में कोई भी अधिकारी साफ लफ्जों में बात करने को तैयार नहीं है. समझ से परे है कि बिकरू एनकाउंटर की घटना के 8 दिन के भीतर पांच एनकाउंटर किए गए. प्रभात का एनकाउंटर ये कहकर किया गया कि गाड़ी का टायर पंचर हुआ और प्रभात ने भागने की कोशिश की और इसी दौरान मारा गया. विकास दुबे के बारे में भी यही कहा जा रहा है कि गाड़ी का एक्सिडेंट हुआ और भागने की कोशिश में विकास मारा गया. कमाल की बात ये है कि 5 में से तीन एनकाउंटर में पुलिस का यही कहना है कि अपराधी उनकी पिस्तौल छीनकर भाग रहे थे. पिस्तौल ना हुआ बच्चे के हाथ लगा बर्फ का गोला हो गया कि कोई भी छीनकर भाग जा रहा है.
पुलिस की दूसरी थ्योरी जो सवालों के घेरे में है वो ये कि उज्जैन से विकास को सफारी गाड़ी में लेकर चला गया. एनकाउंटर से पहले जो गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई वो भी महेंद्रा टीयूवी-100. पुलिस का कहना है कि जब किसी बड़े अपराधी को एक जगह से दूसरी जगह लाया जाता है, तो काफिले में मौजूद गाड़ियों में बदल-बदल कर बैठाया जाता है। इससे उसके गुर्गे हमला न कर सकें.
एनकाउंटर की तफतीश करते हुए ये बात सामने आई कि पुलिस ने पहले विकास पर गोली चलाई जबकि अधिकारियों ने बाद में स्पष्ट किया कि पहले गोली विकास ने चलाई थी जिसके बाद जवाबी फायरिंग में वो मारा गया. पुलिस ने भी सीधा विकास के सीने पर गोली चलाई, सवाल ये कि क्या पुलिस विकास को जान से मार देना चाहती थी? मारना ही था तो गोली पैरो पर भी मारी जा सकती थी. चश्मदीदों के मुताबिक उन्हें एक्सिडेंट तो नहीं दिखा लेकिन गोली चलने की आवाज जरूर सुनी. मौके पर जब स्थानीय पहुंचे तो पुलिसवालों ने उन्हें भगा दिया.